(बैतूल) 28 वर्ष बाद बैतूल लोकसभा का भाग्योदय, सांसद दुर्गादास उईके ने ली मंत्री पद की शपथ

बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा। बैतूल-हरदा-हरसूद संसदीय क्षेत्र का भाग्योदय 28 वर्ष बाद हुआ है। 1996 में पहली बार इस संसदीय क्षेत्र में केन्द्र में प्रतिनिधित्व मिला था और असलम शेर खान को तात्कालिन प्रधानमंत्री पीव्ही नरसिम्हा राव की सरकार ने राज्य मंत्री बनाया गया था। तबसे लेकर अब तक बैतूल संसदीय क्षेत्र से कभी भी केन्द्रीय मंत्री मंडल में किसी को जगह नहीं मिली। जबकि इन 28 वर्षो के दौरान बैतूल संसदीय क्षेत्र में हमेशा भाजपा के ही सांसदों को चुना है। इस दौरान भाजपा से अटलबिहारी वाजपेयी तीन बार प्रधानमंत्री बने और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दो बार प्रधानमंत्री बने। अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के तीसरे कार्यकाल में बैतूल से दूसरी बार सांसद चुनाव जीते दुर्गादास उईके को मंत्री पद की शपथ दिलाई। सांसद डीडी उईके 2019 में पहली बार कांग्रेस के रामू टेकाम को साढ़े तीन लाख मतों से हराकर सांसद चुने गए थे। वहीं 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस ही रामू टेकाम को करीब 4 लाख मतों से चुनाव हराया है। सांसद डीडी उईके गायत्री परिवार से जुड़े हुए है और वे अच्छे वक्ता माने जाते है। उच्च शिक्षित आदिवासी जनप्रतिनिधि होने की वजह से उन्हें यह मौका मिला है। सांसद डीडी उईके राजनीति में आने से पहले शिक्षक थे।
सांसद डीडी उईके को बेहद सहज सरल और सुलझा हुआ और लोगों के साथ बेहद आत्मीयता से मिलने वाला जनप्रतिनिधि माना जाता है। हालांकि उनके पिछले पांच वर्ष के कार्यकाल में वे बतौर सांसद ऐसी कोई खास उपलब्धि हासिल नहीं कर पाए है। अब वे मोदी सरकार में मंत्री बन चुके है, ऐसे में लोगों को उम्मीद है कि वे बैतूल हरदा हरसूद संसदीय क्षेत्र और यहां के आम लोगों के हित में कुछ बेहतर काम करेंगे। पिछले कार्यकाल में तो करीब दो वर्ष का अरसा कोरोना काल में चला गया था। अब उनके पास अब पूरे पांच वर्ष की अवधि है, जिसमें वे बैतूल के लिए बहुत कुछ कर सकते है।
गौतलब रहे कि बैतूल में जनता पार्टी से 1977 में सुभाष आहूजा पहले स्थानीय सांसद चुने गए थे। इसके अलावा 1989 में बाहरी आरिफ बैग को भी बैतूल की जनता ने भाजपा की टिकट पर सांसद चुना था। इसके बाद असलम शेर खान बैतूल के सांसद चुने गए और इसके बाद 1996 में स्व. विजय कुमार खण्डेलवाल को बैतूल का सांसद चुना गया। वे 2007 तक लगातार चार बार बैतूल के सांसद चुने गए। उनकी मृत्यु हो जाने के बाद उप चुनाव में उनके पुत्र हेमंत खण्डेलवाल को भाजपा ने टिकट दी और वे भी करीब डेढ़ वर्ष के लिए बैतूल के सांसद रहे। वहीं इसके बाद बैतूल-हरदा लोकसभा क्षेत्र का परिसीमन हो गया और इसमें हरसूद जुडऩे के बाद यह आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हो गई, इसलिए 2008 के चुनाव में ज्योति धुर्वे को भाजपा ने टिकट दी और वे चुनाव जीत गई। 2014 का चुनाव भी ज्योति धुर्वे ने जीता, लेकिन जाति प्रमाण पत्र विवाद के कारण 2019 में भाजपा ने उनकी टिकट काट दी और डीडी उईके को उम्मीदवार बनाया। इन 28 वर्षो में जब भाजपा के लगातार सांसद चुने गए, तब भी बैतूल को केन्द्र में कोई मंत्री पद नहीं मिला। वहीं भाजपा ने इन 28 वर्षो में बैतूल से प्रदेश में किसी भी विधायक को मंत्री पद नहीं दिया गया। इसको लेकर बैतूल के मतदाताओं में असंतोष देखा जाता था।
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 09 जून 2024