बैतूल(हेडलाईन)/नवल वर्मा । नगरपालिका में लीगल और इल्लीगल दोनों तरीके से होने वाले हिसाब-किताब को यदि चेक किया जाए तो ठेकेदारी करना अपने आप में सबसे बड़ा जोखिम और नुकसान का काम है? हालत यह है कि ठेकेदार की सुनने वाला कोई नहीं है, जनप्रतिनिधि से लेकर अधिकारी तक सब जानते है, लेकिन फिर भी इस सिस्टम को दुरूस्त करने में प्रयास नहीं करते! ठेकेदार इसलिए चुप्पी साधे रहते है कि ठेकेदारी के भरोसे जैसे-तैसे दाल-रोटी तो चल रही है, यदि वे इस सिस्टम के खिलाफ खुलकर बोलेंगे तो पूरा सिस्टम उनके खिलाफ खड़ा हो जाएगा और काम करना मुश्किल कर देगा? ठेकेदारों से चर्चा में जो सामने आया है, उसके अनुसार ईई चैकिंग के 10 फीसदी सहित नियम अनुसार कुल कटौत्रा 22 फीसदी पड़ता है। वहीं जो कमीशन का सिस्टम है, वह अब बढक़र 21 फीसदी पर जा रहा है! अब ऐसी स्थिति में ठेकेदार 43 फीसदी यदि झेलेंगा तो वह काम कैसे करेगा? गुणवत्ता कहां से दे पाएगा? और महंगी होती मजदूरी और मटेरियल में अपना परिवार कैसे चलाएगा। ठेकेदारों ने बताया कि जो नियम अनुसार कटौत्रा है वह 22 फरवरी के पहले 12 फीसदी था। जिसमें  7 फीसदी एसडी, 2 फीसदी इनकम टैक्स, 2 फीसदी जीएसटी और 1 फीसदी लेबर वेलफेयर टैक्स था। कुल मिलाकर यह 12 फीसदी था, लेकिन अब इसमें 10 फीसदी रनिंग बिल में ईई चैकिंग के नाम पर काटा जा रहा है। ठेकेदारों का कहना है कि इस तरह यह 22 फीसदी हो जा  रहा है। इसके साथ ही उन्हें ऑनलाईन टैंडर प्रक्रिया में ईएमडी और टेंडर मिलने के बाद पीजी और एपीजी का खर्च भी उठाना पड़ता है। 
इस स्थिति के बावजूद अघोषित कमीशन बढ़ाने में भी कोई शर्म नहीं की जा रही है। पूर्व में यहां नगरपालिका में 17 फीसदी कमीशन लगता था, उसे बढ़ाकर अब 19 फीसदी कर दिया गया है। 19 फीसदी के बाद यह 21 फीसदी इसलिए हो जाएगा जो 10 फीसदी का ईई चैकिंग के नाम पर कटौत्रा किया जा रहा है। इसको भी रिलीज करवाने में सिस्टम के अनुसार 2 फीसदी ठेकेदारों को हर हाल में लगना ही है? कुल मिलाकर यदि देखा जाए तो ठेकेदार को 22 फीसदी लीगल कटौत्रा, 21 फीसदी इनलीगल कटौत्रा और करीब-करीब 5 फीसदी अन्य खर्चा होता ही है। यह मान लिया जाए कि 48 फीसदी पैसा ठेकेदार खर्च करने के बाद अब 52 फीसदी में ठेकेदार किस तरह से काम करेगा और कहां बचत करेगा यह सबसे बड़ा सवाल हो गया है? ठेकेदारों का कहना है कि यदि कमीशन का 2 फीसदी नहीं बढ़ाया जाता और ईई चैकिंग में 10 फीसदी कटौत्रा नहीं किया जाता तो उनके 2 फीसदी की बचत वहां होती। ऐसी स्थिति में उनके कुल 4 फीसदी की बचत होती जो उनके लिए बड़ी राहत हो जाती। एक तरह से पूरे ठेके में यह उनकी शुद्ध बचत होती, उस पर भी अधिकारियों ने नजर गड़ा दी।

- बड़ा सवाल : विधायक को पूछना चाहिए कि सहायक लेखा अधिकारी किसके लिए ले रहे अतिरिक्त 2 फीसदी?
विधायक हेमंत खण्डेलवाल को सबसे पहले नगरपालिका में सहायक लेखा अधिकारी से पूछना चाहिए कि जो ठेकेदारों से उन्हें जो फीडबैक मिला है, उसमें जो 2 फीसदी अतिरिक्त कमीशन लिया जा रहा है, वह किसके लिए लिया जा रहा है? वजह यह है कि नगरपालिका के सिस्टम में पहले से सबका फिक्स है, फिर अतिरिक्त 2 फीसदी सहायक लेखा अधिकारी किसको उपकृत करने के लिए ले रहे है? आश्चर्यजनक बात यह है कि सिस्टम में जो जनप्रतिनिधि या अन्य अधिकारी अपना कमीशन ले रहे है वे भी सहायक लेखा अधिकारी के अतिरिक्त 2 फीसदी लिए जाने पर चुप है और वे उसे रोक भी नहीं रहे है! ऐसे में सभी ठेकेदारों के मन में कई तरह के सवाल खड़े हो रहे है? सवाल खड़े होने की वजह यह है कि विधानसभा चुनाव के बाद ही सहायक लेखा अधिकारी ने 2 फीसदी बढ़ाने का फार्मूला लागू किया?
नवल वर्मा हेडलाईन बैतूल 18 जून 2024