बैतूल(हेडलाईन)/ नवल वर्मा ।  नगरपालिका में जो कुछ हो रहा है यह किसी से दबा छिपा नहीं है। टॉप-टू-बॉटम जनप्रतिनिधि अधिकारियों की मनमानी से अच्छी तरह से वाकिफ है, फिर भी वे इसे रोकने या इन अधिकारियों को कंट्रोल करने में नाकाम साबित हो रहे है और इसका नतीजा यह है कि शहर में नगरपालिका के निर्माण कार्यो की रफ्तार कम हो गई है? हालत यह है कि कई जगह तो निर्माण कार्य बंद जैसी स्थिति में आ चुके है। अब सवाल यह है कि नगरपालिका अध्यक्ष, विधायक और सांसद इस स्थिति में खुला हस्तक्षेप क्यों नहीं कर रहे! जिस तरह की कमीशनबाजी है और जिस तरह से कटौत्रा का फार्मूला लागू किया गया है, उसके बाद ठेकेदार किस तरह से क्वालिटी मेंटेंन करेगा? जानकारों का कहना है कि वैसे ही नगरपालिका के निर्माण कार्यो की गुणवत्ता पर लगातार सवाल खड़े होते है और अब इस तरह के तौर तरीकों के कारण ठेकेदारों के पास क्या विकल्प हो सकता है, यह विचारणीय प्रश्र है? आश्चर्यजनक बात यह है कि इंजीनियर्स अपने अधिकार क्षेत्र के बाहर जाकर नियम कायदे लागू कर रहे है! अकाउंटेंट अपने नियम लगा रहे है और सीएमओ भी हाथ पर हाथ धरे चल रहे तमाशे के सहभागी बने हुए है? 
नगरपालिका के एक ठेकेदार का कहना है कि उनसे नगरपालिका के एक तकनीकी अधिकारी ने ऑफ द रिकार्ड जो कहा है यदि वह सार्वजनिक हो जाए तो बैतूल में जो जनप्रतिनिधि है उनको लेकर अधिकारियों का रवैया सामने आ जाएगा! भाजपा समर्थित उक्त ठेकेदार का कहना है कि सत्तापक्ष के जनप्रतिनिधियों को जान समझ लेना चाहिए कि नपा के यह अधिकारी और इंजीनियर्स की नजर में उनकी क्या स्थिति है? बैतूल नगरपालिका में मसला सिर्फ वर्तमान में 10 फीसदी कटौत्रा का ही नहीं है। एक अन्य  ठेकेदार ने यह भी बताया कि बैतूल नगरपालिका में 90 हजार के जो निर्माण कार्य हुए, जो खरीदी हुई या जो मेंटेनेंस के काम हुए उन सब में गंभीर प्रश्र चिन्ह है? आखिर क्या वजह रही कि इस तरह के मामलों में बैतूल की फाईल शहडोल से साईन होकर आती है! खैर जो भी लेकिन वर्तमान स्थिति में नगरपालिका में तमाम ठेकेदार भले ही अभी चुप्पी साधे बैठे हो, लेकिन उनके अंदर गहरा असंतोष है और यह असंतोष किसी भी दिन विस्फोटक रूप ले सकता है? नगरपालिका के एक अन्य ठेकेदार ने पैमेंट सिस्टम को लेकर गंभीर सवाल खड़े करते हुए कहा कि इसकी वजह से निर्माण कार्य ठप जैसी स्थिति में आ गए है। पैमेंट किसका और किस आधार पर किया जाता है, यह सब जांच का विषय है? नगरपालिका बैतूल में जो कुछ चल रहा है, यह केवल ठेकेदारों या राजनैतिक हल्कों में ही चर्चा का विषय नहीं है, बल्कि आम लोग भी इस बात पर सवाल करने लगे है कि यह अधिकारी जनप्रतिनिधियों के काबू में क्यों नहीं है?

- नपाध्यक्ष, विधायक तथा सांसद इंजीनियर्स और अफसर से कब पूछेंगे यह सवाल...
1 - आखिर एई सहित अन्य दो इंजीनियर्स ने किस निर्देश के तहत बिना लेखा एवं वित्त शाखा की अनुशंसा के 10 फीसदी की कटौती ईई चैकिंग के नाम पर शुरू की?
2 - डूडा इंचार्ज होने के बावजूद सीएमओ ने यदि यह कटौती जायज मानी तो फिर इसे अन्य नगर निकायों में क्यों नहीं लागू करवाया?
3 - लेखा शाखा में दो फीसदी कमीशन किस आधार पर बढ़ा दिया गया? और जब 10 फीसदी कटौत्रा का रिफंड होगा तब क्या उसमें जिम्मेदार अपने हिस्से का 2 फीसदी नहीं लेगा?
नवल वर्मा हेडलाईन बैतूल 19 जून 2024