बैतूल(हेडलाईन)/नवल वर्मा । बैतूल नगरपालिका में अलग ही तरह का ट्रेंड है, जो देश की शायद किसी ही नगरपालिका में होगा! यहां पर पहले मेजरमेंट बुक (माप पुस्तिका) भरी जाती है, इसके बाद निर्माण कार्य होता है? जबकि पूरे देश में जो भी सरकारी निर्माण होता है, उसमें पहले निर्माण कार्य होता है और उसके साथ ही निर्माण की स्थिति के आधार पर मेजरमेंट बुक (एमबी) भरी जाती है। यह मामला इस बात का उदाहरण है कि बैतूल नगरपालिका में किस स्तर पर धांधली और भ्रष्टाचार चल रहा है और इसे अधिकारियों द्वारा किस तरह से संरक्षण दिया जा रहा है। यह मामला नगरपालिका के उपाध्यक्ष महेश राठौर के अंबेडकर वार्ड में बनी एक सीसी रोड का है। केकेएमआर कंस्ट्रक्शन भोपाल द्वारा इस सडक़ का निर्माण किया गया था। 
यह सडक़ 21 दिसम्बर 2023 से 4 जनवरी 2024 के दौरान निर्मित हुई है। इस बात का प्रमाण यह है कि इस सडक़ निर्माण के दौरान हुई धांधली को लेकर विभिन्न अखबारों में दो-तीन दिन खबरें प्रकाशित हुई थी। जिसमें नगरपालिका सीएमओ, तात्कालीन ईई महेश अग्रवाल के बकायदा बयान छपे हुए है। उन्होंने उक्त सडक़ में जांच की बात की थी। यह खबरें 26 दिसम्बर और 27 दिसम्बर को प्रकाशित हुई है। वहीं जब आरटीआई में दस्तावेज निकाले गए तो यह सामने आया कि सडक़ निर्माण तो नवम्बर माह में हुआ है। अंबेडकर वार्ड में कमला ठाकरे के मकान से भीमराव पवार के मकान तक 215 मीटर लंबी और 5.50 मीटर चौड़ी 22 लाख की लागत वाली सडक़ की एमबी 10 नवम्बर से 23 नवम्बर के दौरान भरी गई है। यह दो स्थितियां स्पष्ट करती है कि उक्त सडक़ निर्माण में पहले एमबी भरी गई और बाद में निर्माण कार्य हुआ है। यह अपने आप में गंभीर और अपराधिक श्रेणी का मामला है। जिसमें कायदे से एफआईआर दर्ज होना चाहिए। इस एमबी में उपयंत्री से लेकर ऑडिटर तक को जिम्मेदार माना जाएगा। बताया जा रहा है कि जिस तरह की धांधलियां बैतूल नगरपालिका में हो रही है वह अपने आप में अभूतपूर्व है। केके एमआर कंस्ट्रक्शन भोपाल का ठेकेदार है और इसे अधिकारियों द्वारा ही प्रमोट किए जाने के आरोप बैतूल नगरपालिका के ही ठेकेदार लगाते है।
 इस मामले में कानून के जानकार का कहना है कि पहले तो सीधे एफआईआर दर्ज होना चाहिए, इसके बाद जांच होनी चाहिए। यह संभव ही नहीं है कि बिना सडक़ निर्माण के एमबी भर ली जाए। जबकि इस सडक़ निर्माण में गुणवत्ता को लेकर शिकायत और विवाद सार्वजनिक हो चुका था, इसके बावजूद इंजीनियर्स ने यह सब किया है तो इससे साफ नजर आता है कि उन्हें किसी स्तर पर कोई खौफ नहीं है। कायदे से इस पूरे मामले में अब कलेक्टर को संज्ञान लेना चाहिए। जो भी हो रहा हो, लेकिन जिस मामले में सीएमओ और ईई जैसे अधिकारी निर्माण को लेकर अपने बयान दे रहेे हो। यदि उसमें इस स्तर की धांधली हो रही है तो यह बताता है कि पूरे कुएं में ही भांग घुली हुई है। 

- उपयंत्री विजय सिंह मछार ने सवाल सुनकर ही फोन काट दिया...
 मामले को लेकर जब सडक़ निर्माण के प्रभारी सब इंजीनियर विजय सिंह मछार से पूछा गया कि यह कैसे संभव है कि पहले एमबी भरी गई और बाद में सडक़ बनी। तो उन्होंने कोई जवाब दिए बगैर ही दो मिनट मौन रहे और इसके बाद फोन काट दिया। उन्हें दोबारा कॉल किया गया, लेकिन उन्होंने फोन अटेंड नहीं किया। उपयंत्री का यह रवैया बता रहा है कि वे समझ चुके है कि सच्चाई आरटीआई के माध्यम से बाहर आ चुकी है। 

- इनका कहना ...
- गंभीर मसला है मैं तत्काल दिखवा रहा हूँ ...                    
मामला गंभीर प्रकृति का है, आप तत्काल मुझे दिसम्बर में प्रकाशित खबर तारीख सहित और एमबी की छायाप्रति भेजे। 
- ओमपाल सिंह भदौरिया, सीएमओ, नपा, बैतूल।

- जब दिसम्बर में जांच हुई थी तब मैं छुट्टी पर था ....                           
जिस समय सडक़ निर्माण की शिकायत सामने आई थी , उस समय मैं अवकाश पर था और ईई साहब चेक करने गए थे। जो एमबी वाला मसला जो है उसे मैं देखकर ही कुछ कह पाउंगा। 
- नीरज धुर्वे, एई, नपा, बैतूल।
नवल वर्मा हेडलाईन बैतूल 29 जून 2024