(बैतूल) नगर पालिका के अधिकारी और इंजीनियर्स की शह पर भ्रष्टाचार का एक और तरीका , - देश की एकमात्र नगरपालिका बैतूल जहां आउटसोर्सकर्मी बनाते है बिल, इसके लिए ठेकेदार को चुकाना पड़ता है 1 फीसदी कमीशन
बैतूल(हेडलाईन)/नवल वर्मा ।बैतूल नगरपालिका में पीडब्ल्यूडी शाखा में दो आउटसोर्सकर्मी स्टीमेट बनाने, एमबी भरने सहित बिल बनाने का काम करते है और इन्हें इंजीनियर्स के चेम्बर में बैठकर कम्प्यूटर पर काम करते हुए देखा जाता है? इसके एवज में ठेेकेदारों से 1 फीसदी कमीशन की वसूली होती है! आउटसोर्स कर्मी महेन्द्र राठौर और चन्द्रकिशोर देशमुख को बैतूल नगरपालिका में इंजीनियर्स की तरह ही तमाम अधिकार प्राप्त है और उसी अधिकार के तहत फील्ड पर जाकर निर्माण कार्यो का निरीक्षण भी करते है! यदि नगरपालिका में लगे सीसीटीवी कैमरे चेक करवा लिए जाए तो इस बात की पुष्टि हो जाएगी कि इंजीनियर्स के तमाम काम यही दोनों आउटसोर्सकर्मी करते है? इन दोनों को किस पोस्ट पर रखा गया है यह एक यक्ष प्रश्र है? लेकिन काम पूरा इंजीनियर्स का ही कर रहे है! नगरपालिका में ठेकेदारों के बिल लगाने के लिए शासन ने ऑनलाईन पोर्टल सैप बना रखा है।
जिसमें ठेकेदारों के पास स्वयं की आईडी, पासवर्ड है और वे अपने बिल बनाकर स्वयं अपलोड कर सकते है, लेकिन बैतूल नगरपालिका में इस सिस्टम को ध्वस्त करने के लिए इंजीनियर्स ने यह व्यवस्था बना रखी है कि ठेकेदारों को एमबी ही जारी नहीं की जाती है। यदि ठेकेदारों को एमबी दी जाती तो वे स्वयं अपना बिल बनाकर ऑनलाईन पोर्टल सैप पर पुटअप कर सकते थे और पूरे मप्र में सरकारी निर्माण कार्यो में जो ठेके होते है उसमें यही व्यवस्था है कि ठेकेदार अपने बिल बनाकर स्वयं प्रस्तुत करता है और उन्हें विभाग द्वारा एमबी भी उपलब्ध कराई जाती है। बैतूल नगरपालिका देश की एकमात्र ऐसी नगरपालिका है, जहां आउटसोर्सकर्मी चन्द्रशेखर देशमुख और महेन्द्र राठौर के पास इंजीनियर्स ने यह जिम्मेदारी दे रखी है कि वे ठेकेदारों के बिल बनाकर पुटअप करें? ऐसे करने के पीछे इंजीनियर्स के दो उद्देश्य हो सकते है! पहला यह कि वे ठेकेदार के बिल अपनी मर्जी से लेटलतीफ लगवा सकते है, ताकि ठेकेदार हैरान, परेशान होकर उनकी शर्तो को माने। दूसरा यह कि चन्द्रकिशोर और महेन्द्र से वे स्टीमेट बनवाने से लेकर निरीक्षण और एमबी भरवाने का जो काम करवाते है, उसके एवज में जो 1 फीसदी कमीशन वसूल किया जा रहा है उसमें संभवत इनका भी कोई शेयर हो। बैतूल नगरपालिका के इन हालात से सभी अच्छे वाकिफ है, लेकिन जिस तरह से यहां पर इंजीनियर्स का दबदबा है और इंजीनियर्स को जिस तरह से जनप्रतिनिधि भी हाथों हाथ लेते है, उसकी वजह से कोई भी इन इंजीनियर्स की शिकायत करने की हिम्मत नहीं जुटा पाता। सत्तापक्ष से जुड़े एक ठेकेदार ने बताया कि यदि वे अपने वरिष्ठ नेताओ ओर जनप्रतिनिधियों को इन स्थितियों से अवगत कराते है तो वे उनकी बात पर यकीन ही नहीं करते और यदि इंजीनियर्स उन्हें समझा दे तो उनकी बात पर यकीन करते है और उन्हें ही दूध का धुला समझने लगते है! बहुत ज्यादा जोर दो तो कहते है कि सिस्टम के अनुसार काम करो क्योंकि तुम्हें वहीं काम करना है? एक ठेकेदार ने बताया कि उक्त दोनों आउटसोर्स कर्मचारियों को इंजीनियर्स के चेम्बर में कम्प्यूटर पर बैठकर स्टीमेट और बिल बनाते हुए देखा जाता है। उन्हें लोक निर्माण शाखा में आलमारियों और टेबल पर से फाईल निकालते हुए और रखते हुए देखा जाता है और इसकी पुष्टि करना है तो लोक निर्माण शाखा के सीसीटीवी चेक कर लिया जाए। ठेकेदार का तो आरोप यह है कि सहायक यंत्री और सहायक इंजीनियर्स कहते है कि चन्द्रकिशोर और महेन्द्र से ही बिल बनवाओ तो ही फाईल आगे बढ़ेगी। चन्द्रकिशोर देशमुख और महेन्द्र राठौर से उनकी भूमिका, काम और लग रहे आरोप को लेकर उनका पक्ष जानने के लिए मोबाईल पर संपर्क किया गया तो चन्द्रकिशोर ने प्रश्र सुनते ही कॉल काट दी और महेन्द्र ने कॉल ही अटैंड नहीं की। वहीं इनसे दो कदम आगे एई नीरज धुर्वे निकले, उन्होंने सवालों से बचने के लिए अपना मोबाईल किसी और को दे दिया। वह व्यक्ति पहले तो यह कहने लगा कि नीरज धुर्वे का नंबर ही नहीं है, जब उसे बताया गया कि यह नंबर पर बात होती है तो कहने लगा कि साहब मोबाईल भूल गए है और वह आमला नपाकर्मी शर्मा है।
नवल वर्मा हेडलाईन बैतूल 02 जुलाई 2024