बैतूल(हेडलाईन)/नवल वर्मा । बैतूल नगरपालिका की लोक निर्माण शाखा में चन्द्रकिशोर देशमुख और महेन्द्र राठौर के बिना पत्ता भी नहीं खडक़ सकता! इन्हें पता है कि नगरपालिका का पूरा सिस्टम कमीशन से ही चलता है, इसलिए वे भी सिस्टम के अनुसार अपना आचरण करते है और ठेकेदारों को मजबूर करते है कि बिल बनाने के 1  फीसदी कमीशन के अलावा भी उन्हें अतिरिक्त उन्हें दिया जाए? उक्त जानकारी देते हुए एक ठेकेदार ने दावा किया कि पहले यह ठेकेदार का जानबूझकर बिल कम बनाते है, फिर ठेकेदार इस पर आपत्ति लेता है तो यह उससे कहते है कि बिल बढ़वाना है तो अतिरिक्त लगेगा ही और मजबूरी में ठेकेदार को इनकी बात माननी पड़ती है, क्योंकि नगरपालिका के इंजीनियर का इन पर खुला वरदहस्त है। 
बैतूल शहर में 33 वार्ड है और इन वार्डो में होने वाले निर्माण कार्यो में नगरपालिका के ईई, एई और एसई भले ही ना जाए, लेकिन चन्द्रकिशोर उर्फ चन्दू और महेन्द्र राठौर निर्माण स्थल जाने से नहीं चूकते है! यह लोग एमबी के लिए मेजरमेंट लेने का काम भी करते है जो कि संबंधित इंजीनियर का है? यह लोग एमबी भरते है, यही लोग स्टीमेट बनाते है? यही लोग बिल भी बनाते है? पूरी नगरपालिका में इंजीनियर्स के अलावा जो अन्य साधारण कर्मचारी है, उन्हें तो यह नहीं पता कि चन्दू और महेन्द्र किस पद पर कार्यरत है! उन्हें तो यहां तक नहीं पता है आउटसोर्सकर्मी है भी या नहीं?
 सबसे बड़ी बात यह है कि एई सहित इंजीनियर्स और अन्य ठेकेदार से कमीशन नहीं छोड़ते, लेकिन निर्माण स्थल पर जाकर तकनीकी सलाह भी देना जरूरी नहीं समझते। एक तरह से माना जाए कि यदि नगरपालिका के इंजीनियर्स धृतराष्ट है तो इनको निर्माण स्थल का वृतांत सुनाने वाले संजय की भूमिका महेन्द्र और चन्दू ही निभा रहे है! 
मामले में साफ नजर आ रहा है कि यह सब इंजीनियर्स की शह पर ही हो रहा है और यह स्पष्ट रूप से कदाचरण की श्रेणी में आता है। जानकारों का कहना है कि यदि नियम अनुसार जांच हुई तो इनके साथ-साथ इंजीनियर्स की सेवा पर भी सीधा एक्शन हो सकता है?

- इन सवालों का जवाब जिम्मेदारों को देना पड़ेगा...   

                     
1 - यह दोनों आउटसोर्सकर्मी किस हैसियत से इंजीनियर के चेम्बर में बैठकर कम्प्यूटर पर बिल बनाते है, स्टीमेट बनाते है? क्या कारण है कि इंजीनियर्स इस पर कोई आपत्ति नहीं लेते?
2 - क्या कारण है कि दोनों आउटसोर्स कर्मी इंजीनियर्स की तरह निर्माण स्थल पर जाते है? मेजरमेंट करते है, निरीक्षण करते है? यह अधिकार उन्हें किसने दिया और इस पर किसी इंजीनियर ने आपत्ति क्यों नहीं ली?
3 - नगरपालिका के आंतरिक विभागीय ऑडिट में क्या इस बात पर आपत्ति नहीं ली गई कि क्या उक्त आउटसोर्सकर्मी इस तरह से अपने अधिकार क्षेत्र के बाहर काम कर रहे है?
4 - क्या नगरपालिका सीएमओ और जनप्रतिनिधियों के संज्ञान में कभी नहीं आया कि दो आउटसोर्सकर्मी का पीडब्ल्यूडी शाखा और निर्माण कार्यो में किस कदर दखल है?
5 - क्या इन दोनों आउटसोर्सकर्मी को लोक निर्माण शाखा से हटाया जाएगा या पहले की ही तरह यह लोग निर्माण कार्य सहित मेजरमेंट, स्टीमेट, बिल बनाते रहेंगे?
नवल वर्मा हेडलाईन बैतूल 03 जुलाई 2024