बैतूल(हेडलाईन)/नवल वर्मा । बैतूल नगरपालिका में जो गंध मच चुकी है और वहां इंजीनियर्स तथा अधिकारियों से जो ठेकेदार दुखी है, पीडि़त है उनका कहना है कि अधिकारियों का तबादला इस लाईलाज बीमारी का समाधान नहीं है ? यदि बैतूल विधायक सचमुच व्यवस्थाओं को दुरूस्त करने की ईमानदारी से इच्छा रखते है तो उन्हें बैतूल नगरपालिका में जो कमीशनबाजी का मकडज़ाल बना है उसे तोडऩा होगा? ठेकेदारों का कहना है कि सीएमओ से लेकर एई और इंजीनियर्स सहित अकाउंटेंट अच्छे से जानते है कि विधायक का जो सामर्थ्य उन्हें जो अभी तक समझ आया है उसमें केवल तबादला करा सकते है और यह तबादला भी रूटिन प्रक्रिया में ही होगा। इसलिए वे जरा भी दबाव में नजर नहीं आ रहे और वे वही सब कुछ कर रहे है जो उनके मन का है। जैसे विधायक के कहने के बाद इंजीनियर्स ने स्वयं 10 फीसदी ईई चैकिंग काटना रनिंग बिल पर बंद कर दिया था और यह काम अकाउंटेंट करने लगे थे, लेकिन अब फिर इंजीनियर्स ने 10 फीसदी ईई चैकिंग का काटना शुरू कर दिया है । नगरपालिका के सिस्टम को जानने वालों का कहना है कि अधिकारी और इंजीनियर्स का यदि कमीशन बंद करा दिया गया तो नगरपालिका में काम की गुणवत्ता भी सुधरेगी और समय पर काम भी होगा। साथ ही वहीं निर्माण कार्य होंगे जो जनता के लिए जरूरी है। जबरन के निर्माण कार्य में किसी की भी रूचि नहीं रह जाएगी। नगरपालिका के ठेकेदारों का कहना था कि बैतूल विधायक जिन्हें मुख्यमंत्री सार्वजनिक मंच से अपना मित्र बता चुके है, उनके विधानसभा क्षेत्र की सबसे बड़ी नगरपालिका में जो कमीशनबाजी का जो दलदल इंजीनियर्स और अधिकारियों ने मचा रखा है, उन पर अभी तक की स्थिति में तो विधायक का कोई नियंत्रण नजर ही नहीं आ रहा है!

- सीएमओ को छोडक़र बाकी अन्य तो बैतूल में लंबे समय से टिके है, इसलिए तबादले को लेकर जरा भी तनाव नहीं...
बैतूल नगरपालिका में सीएमओ को करीब 8 माह का समय हुआ है। वहीं एई नीरज धुर्वे को लगभग 4 वर्ष से ज्यादा का समय हो गया है, और अकाउंटेंट को लगभग 7 वर्ष का अरसा हो चुका है। इंजीनियर ब्रजेश खानूरकर को भी लगभग 4 वर्ष हो गए है। चूंकि यह सब कुछ इतना लंबा समय गुजारकर अपना जो गणित था वह हल कर चुके है, इसलिए तबादला होने को लेकर इनको कोई तनाव नहीं है?

- यदि विधायक की नाराजगी के बाद तबादला होता तो दमदारी मानी जाती, रूटिन लिस्ट में तबादले का कोई मतलब नहीं...
नगरपालिका की स्थिति से दुखी भाजपा के ही पदाधिकारी कह चुके है कि भैया को यदि तबादला ही कराना है तो फौरन कराना था, यह कौन सी दमदारी है कि जब लिस्ट आएगी तब तबादला होगा, नाम नोट करा दिए है! जब सीएम भैया को सार्वजनिक मंच से मित्र बता चुके है तो अब तक इंजीनियर्स, अकाउंटेंट, ऑडिटर, सीएमओ सबका बोरियां बिस्तर बंध जाना चाहिए था?

- जो बाहर के अधिकारी, कर्मचारी है उन्हें किसी का कोई लिहाज नहीं है, वे एकसूत्रीय कार्यक्रम में लगे रहते है...
जो बाहर से अधिकारी-कर्मचारी बैतूल में आए है, उनका एक सूत्रीय मूलमंत्र अपनी व्यक्तिगत अर्थव्यवस्था को दुरूस्त करना है। उनके ना तो लोकल स्तर के कोई संबंध होते है और ना ही उन्हें भविष्य में यहां रहना है। इसलिए वे जनप्रतिनिधियों से लेकर मीडिया तक को अपने तरीके से गुमराह करते है और वही सब काम पर फोकस करते है। जिसमें उनका निहित स्वार्थ पूरा होता हो?

- विधायक भी भलिभाँति से जानते है कि किस स्तर पर और किस तरह की कमीशनबाजी नगरपालिका बैतूल में चल रही है...
विधायक को पार्षदों और भाजपा समर्थित ठेकेदारों ने ही कमीशनबाजी के पूरे सिस्टम सहित तरीके से अवगत करा दिया है और किसे कितना प्रतिशत कमीशन दिया जाता है यह भी बता दिया है। बल्कि प्रमाणित तरीके से बताया कि कमीशन कहां कितना दे रहे है। उक्त ठेकेदारों ने विधायक को यह भी बताया दिया कि ईई के जाने के बाद भी 2 फीसदी अतिरिक्त कमीशन देना ही पड़़ रहा है।

- बैतूल नगरपालिका में हालात नहीं सुधरे तो विधायक बैतूल को ही भविष्य की राजनीति में तगड़ा नुकसान हो सकता है...
राजनीति के जानकारों का कहना है कि भविष्य में होने वाले परिसीमन के आधार पर ही देखा जाए तो बैतूल नपा बैतूल विधानसभा का हिस्सा तो रहेगी और ऐसे में बैतूल नगरपालिका में जो कुछ चल रहा है और उसे जो असंतोष पैदा हो रहा है और इसका सीधा नुकसान भैया की भविष्य की राजनीति को ही होगा! जो उन्हें लगता है कि वर्तमान विधानसभा वाला मैनेजमेंट चलेगा तो यह उनके मुगालते है?
नवल वर्मा हेडलाईन बैतूल 05 जुलाई 2024