(बैतूल) बिजली कंपनी के तुगलकी फरमान से किसानों में पनप रहा आक्रोश , - सिंचाई के अस्थाई कनेक्शन लेने पर घरेलू कनेक्शन का भी एडवांस 6 हजार मांग रहे

बैतूल(हेडलाईन)/नवल वर्मा ।बिजली कंपनी का एक अनूखा नियम सामने आ रहा है। इसको लेकर चोपना क्षेत्र के किसानों ने क्षेत्रीय विधायक गंगा बाई उईके, जनपद सदस्य राहुल उईके को बकायदा पत्र लिखकर इस नियम से मुक्ति दिलाने की मांग की है। तवाकाठी क्षेत्र के किसानों ने बताया कि वर्तमान में बारिश पर्याप्त न होने के कारण चोपना क्षेत्र में धान की रोपाई 10 फीसदी ही हो पाई है। ऐसे में किसानों को अन्य स्त्रोत से पानी की व्यवस्था कर रोपाई करना पड़ रहा है। इसलिए किसानों को 2 माह के लिए अस्थाई बिजली कनेक्शन की जरूरत है।
इस अस्थाई कनेक्शन के लिए जब उन्होंने बिजली कंपनी से संपर्क किया गया तो उन्हें बताया गया कि इस बार साढ़े बारह हजार रूपए जमा करना होगा। किसानों ने जब इस राशि को लेकर सवाल किया कि पिछले बार तो इस अस्थाई कनेक्शन के लिए साढ़े छ: हजार रूपए ही लिए जा रहे थे, तो बिजली कंपनी के अधिकारी और कर्मचारियों द्वारा उन्हें बताया गया कि साढ़े छ: हजार रूपए अस्थाई बिजली कनेक्शन के लिए है। किसान असीम राय और सुनीत मंडल का कहना है कि यह अजीब नियम कब कहां और कैसे लागू हुआ, इसकी किसी को कोई जानकारी नहीं है। उनका कहना है कि बारिश पर्याप्त न होने के कारण किसानों की मजबूरी हो गई है कि वे तालाब या अन्य पानी के माध्यम से धान की फसल की रोपाई कर लें। यदि लेट हो गए तो अगली फसल में समस्या खड़ी होगी। किसानों का कहना है कि वर्तमान सीजन में किसानों को खाद, बीज आदि में ही बहुत पैसा लगता है और ऐसे में इस तरह का नियम समझ से परे है।
उनका कहना है कि यह कौनसा तूक है कि सिंचाई के लिए अस्थाई कनेक्शन का एडवांस बिल वसूल किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जो ट्रांसफार्मर रहता है उसमें तीन सर्किट में से दो सर्किट बंद कर दिए गए है और एक ही सर्किट गांव की बिजली का चालू रखा जा रहा है और किसानों पर दबाव बनाया जा रहा है। उनका कहना है कि इस मामले को लेकर बिजली कंपनी के अधिकारियों द्वारा कोई ठोस जवाब नहीं दिया जा रहा है। वे इस संबंध में केन्द्रीय मंत्री से मुलाकात के लिए गत दिनों बैतूल भी आए थे, लेकिन मंत्री से मुलाकात नहीं हो पाई। उन्होंने बताया कि यदि इस मसले का समाधान नहीं हुआ तो किसानों की धान की रोपाई नहीं हो पाएगी। पूरे जिले में चोपना ही एकमात्र ऐसा क्षेत्र है, जहां किसान खरीफ सीजन में 80 फीसदी धान की खेती करता है।
उन्होंने बताया कि स्थानीय विधायक और जनपद अध्यक्ष से अभी तक किसी भी तरह का कोई सहयोग नहीं मिला है। जल्द ही वे इस मामले को लेकर जनआंदोलन करने की तैयारी में है। चोपना क्षेत्र के सभी किसान बैठक करने वाले है। जिसमें फैसला लिया जाएगा कि इस तरह की मनमानी को लेकर किस तरह का और क्या आंदोलन किया जाए। मामले को लेकर विद्युत वितरण कंपनी के अधीक्षण यंत्री से उनके मोबाईल नंबर पर संपर्क किया गया, लेकिन आदत के मुताबिक उन्होंने कॉल अटैंड नहीं की, इसलिए आरोप को लेकर बिजली कंपनी का पक्ष सामने नहीं आया।
नवल वर्मा हेडलाईन बैतूल 13 जुलाई 2024