(बैतूल) कलेक्टर से है सभी को है उम्मीद कि कोई सार्थक पहल अवश्य करेंगे , - निर्माण कार्य से जुड़े काम महंगी रेत की वजह से ठप्प होने की स्थिति में आ रहे हैं

बैतूल(हेडलाईन)/नवल वर्मा। मानसून सीजन में रेत खदानों में खनन बंद होने के बाद अचानक ही रेत के दाम मनमाने तरीके से उछाल मार रहे है और इस वजह से हर तरह के निर्माण के काम ठप होने की स्थिति में आ रहे है। प्रधानमंत्री आवास योजना में भी हितग्राहियों का कहना है कि इस रेट में यदि रेत खरीदेंगे तो जो सरकार प्रधानमंत्री आवास के लिए राशि आवंटित करती है वह पूरी इसी में खर्च हो जाएगी। मकान बन ही नहीं पायेगा, वहीं दूसरी ओर अन्य तरह के निर्माण कार्य भी इससे प्रभावित हो रहे है। बताया जा रहा है कि सरकारी निर्माण कार्यो से जुड़े ठेकेदार रेत के दाम बढऩे के बाद अब स्टीमेट रिवाईस कराने के आवेदन लेकर कलेक्टर के पास ही जाने वाले है। उनका कहना है कि जिस एसओआर में उन्होंने निर्माण कार्य का टेंडर लिया, उसमें इस दर पर रेत खरीदने के बाद निर्माण कार्य करना संभव नहीं है। उनका कहना है कि ऐसी स्थिति में कलेक्टर निर्माण कार्यो की लागत बढ़ाने के लिए स्टीमेट रिवाईस करवाएँ। बताया जा रहा है कि वर्तमान में रेत की सप्लाई ठेकेदारों के डम्प से की जा रही है। इसलिए रेत महंगा होना बताया जा रहा है। इधर डम्पर चालकों का भी कहना है कि जिस रेट पर वर्तमान में रेत बेच रहे है, उसकी वजह से उनके लिए भी रेत सप्लाई करना और उसमें अपना खर्चा निकालना ही मुश्किल हो रहा है। उनका भी कहना है कि जो रेत बैतूल जिले से बाहर जा रही है, उसमें यदि यह रेट बढ़ा रहे है तो समझ आता है, लेकिन लोकल सप्लाई के लिए रेट कम किए जाना चाहिए। डम्पर चालकों का कहना है कि जिस रेट पर रेत बेची जा रही है उसकी वजह से रेत सप्लाई के आर्डर मिलना कम हो गए है और इस वजह से लोग अब माईनिंग सेंड की जगह स्टोन सेंड की तरफ बढ़ रहे है। क्योंकि उसके रेट रेत के रेट से कम है। वैसे जो तकनीकी मापदंड है, उसमें 30 से 40 फीसदी तक स्टोन सेंड मान्य किया जाता है, लेकिन 100 फीसदी नहीं चला सकते। जानकारों ने बताया कि रेत के भविष्य में रेट और बढ़ेंगे, यह देखते हुए जिला जेल बना रहे ठेकेदार ने निर्माण स्थल पर पहले ही रेत का पहाड़ खड़ा कर लिया है। लोग बताते है कि जब वहां रेत डम्प की जा रही है, तब तक उनके पास कोई अनुमति नहीं थी। इस संबंध में पूर्व में भी कलेक्टर को शिकायत भी हुई थी। खैर समस्या छोटे और मंझोले ठेकेदार के साथ है और उनका कहना है कि वर्तमान स्थिति में उनके पास खदानें खुलने तक अपना काम बंद रखने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। इतनी महंगी रेत लेकर निर्माण कार्य करना शुद्ध घाटे का सौदा है। वर्तमान स्थिति में लोगों को उम्मीद है कि कलेक्टर ही एकमात्र ऐसे अधिकारी है जो जनहित में इस मामले में कोई ठोस कदम उठा सकते है, इसलिए बताया जा रहा है कि डम्पर संचालक सहित सरकारी निर्माण से जुड़े ठेकेदार और पीएम आवास जैसी सरकारी योजना के हितग्राही भी कलेक्टर से मिलकर उनके लिए कोई विकल्प निकालने की मांग करने वाले है।
- क्या है रेत में रेट का अपडेट...
1 - रेत का 40 घनफीट का डम्पर जो 20 हजार रूपए में आता था, वह बढक़र 28 हजार रूपए पर पहुंच गया है?
2 - 600 घनफीट का जो डम्पर 26 हजार रूपए में आता था वह बढक़र 38 हजार रूपए में पहुंच गया है?
3 - 800 घनफीट का जो डम्पर पहले 32 हजार रूपए का आता था वह अब 45 हजार पर आ गया है?
4 - 1000 घनफीट रेत जो पहले 40 हजार रूपए में आती थी, वह बढक़र अब 55 हजार रूपए पर पहुंच गई है?
नवल वर्मा हेडलाईन बैतूल 14 जुलाई 2024