बैतूल(हेडलाईन)/नवल वर्मा । 
आत्महत्या के प्रकरण बढ़ रहे है, क्योंकि लोगों में अलग-अलग कारणों से दुख, निराशा, हताशा बढ़ रही है। लोगों को इस स्थिति से बाहर निकालने के लिए बैतूल जैसे क्षेत्र में कोई बहुत बेहतर विकल्प नहीं है। 2016 में प्रदेश सरकार ने भूटान के लोगों की तरह लोगों के चेहरे पर खुशहाली लाने और जीवन में आनंद तथा उमंग का संचार करने के लिए आनंद संस्थान विभाग शुरू किया था। बैतूल में इस विभाग का कभी कुछ कामकाज किसी ने देखा ही नहीं है। शुरूआती दौर में सामाजिक कल्याण विभाग के माध्यम से थोड़ी सी हलचल दिखाई थी, लेकिन उसके बाद से कभी किसी  ने आनंद विभाग और उसके आयोजनों को लेकर कहीं कुछ देखा, सुना ही नहीं है। इस विभाग का मूल काम लोगों के मानसिक शारीरिक और भावनात्मक परेशानियों को खत्म कर आंतरिक रूप से मजबूत बनाना था। लोगों के अंदर जो तनाव और अवसाद है, उससे निकलने के लिए विकल्प देना था, जिससे कि लोग खुशहाल हो, लेकिन यह विभाग ऐसा कुछ भी नहीं कर पाया। इस विभाग का संचालन एक सोसायटी के जरिए कराने के लिए फर्म एण्ड सोसायटी में रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत गठन किया गया है। नियमों के अनुसार अध्यक्ष की नियुक्ति की जानी थी और प्रतिनियुक्ति या अनुबंध पर सचिव स्तर के अधिकारी को सीईओ का चार्ज दिया जाना था। फर्म एण्ड सोसायटी में जो रजिस्ट्रर्ड सोसायटी बनी, उसका नाम राज्य आनंद संस्थान रखा गया था। वैसे पदस्थ पदाधिकारियों को वेतन भत्ता दिया जा रहा है, लेकिन उनका कामकाज कहीं कुछ दिखाई नहीं दे रहा है। इस संस्थान के प्रदेश स्तर के अधिकारी लोगों का खुश होने का तरीका जानने के लिए भूटान की सैर भी करके आ चुके है, लेकिन पिछले 8 वर्ष में प्रदेश में इनका काम कोई सामने नहीं आया और इसलिए आत्महत्या के प्रकरण बढ़ रहे है। बैतूल जैसे जिले में भी यदि वर्ष भर का औसत निकाला जाए तो हर दूसरे दिन कोई ना कोई व्यक्ति मौत को गले लगाता है? कुल मिलाकर देखा जाए तो सरकारी आनंद बैतूल में लापता है!
- क्या आनंद की यह गतिविधियां बैतूल में होते कहीं देखी है?            
1 - अल्पविराम :- सरकारी कार्यालयों में हर महीने अल्पविराम कार्यक्रम होना चाहिए, लेकिन बैतूल जिले में किसी भी सरकारी कार्यालय में नहीं हो रहा है?
2 - आनंद उत्सव :- हर वर्ष 14 से 28 जनवरी के मध्य आनंद उत्सव मनाया जाना चाहिए, जिसमें शहरी क्षेत्र में नगरपालिका और ग्रामीण क्षेत्र में पंचायतों द्वारा यह आयोजन होना चाहिए, लेकिन जिले में कहीं भी यह आयोजन नहीं होता है?
3 - आनंद क्लब :- स्थानीय स्तर पर आनंदो के सहयोग से रहवासियों का क्लब बनाया जाना चाहिए, लेकिन बैतूल जिले में कहीं भी इस तरह का क्लब बना ही नहीं है?
4 - आनंद सभा :- सभी स्कूलों में बच्चों के लिए आनंद सभा का गठन कर वहां उनमें हर्षाेल्लास का वातावरण बनाना है, लेकिन बैतूल में कहीं कुछ नहीं हो रहा?
5 - आनंद कैलेण्डर :- वर्ष भर अलग-अलग स्थानों पर होने वाले गतिविधि का शेड्यूल तैयार होता है,लेकिन बैतूल में किसी को पता ही नहीं है कि वर्ष भर कौनसी गतिविधियां होना है और कुछ हुई है?
नवल वर्मा हेडलाईन बैतूल 15 जुलाई 2024