बैतूल(हेडलाईन)/नवल वर्मा। मनरेगा में सीसी जारी किए जाने के लेकर जिला पंचायत सीईओ का खास फोकस है और हाल ही में जनपद सीईओ के साथ हुई बैठक में भी उन्होंने इस बात पर जोर दिया था कि कामों की सीसी जल्द जारी की जाए। दरअसल ऊपर से भी यह आदेश है कि पुराने कामों को जल्द पूरा किया जाए फिर नए काम की एएस और टीएस जारी की जाए। खैर वर्तमान में जिले में पिछले तीन वर्ष का रिकार्ड खंगाले तो करीब 12 हजार 128 निर्माण कार्य अपूर्ण बताए जा रहे है। मनरेगा के डेटा के अनुसार वर्ष 2021-22, वर्ष 2022-23 वर्ष 2023-24 और वर्तमान वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान कुल 2,05,608 काम स्वीकृत किए गए थे। इसमें से 12 हजार 128 काम वर्तमान में अधूरे है। इन अधूरे कामों को लेकर ही जिला पंचायत सीईओ ने जनपद सीईओ को फोकस करने के लिए कहा है। खैर जो भी हो, लेकिन मैदानी अमले का कहना है कि यह सब इतने जल्दी आनन-फानन में संभव नहीं है।

- लगातार घट रहे स्वीकृत कार्य...


यदि मनरेगा के स्वीकृत कार्यो के वर्तमान वित्तीय वर्ष सहित विगत तीन वर्ष के कार्याे का आंकलन करें तो यह देखने में आता है कि हर वर्ष स्वीकृत कार्यो की संख्या लगातार घट रही है।

- 2021-22 के सबसे ज्यादा अधूरे...


यदि विगत तीन वर्ष का ही अधूरे कामों का हिसाब किताब देखे तो सबसे ज्यादा 5095 काम वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान अधूरे नजर आ रहे है। मतलब तीन वर्ष बाद भी सीसी जारी नहीं हुई।

- 2022-23 में प्रोग्रेस अच्छी रही...


यदि निर्माण कार्याे की स्वीकृति और पूर्ण होने की स्थिति का डेटा देखा जाए तो वित्तीय वर्ष 2022-23 में 16 हजार 872 काम स्वीकृत हुए और इसमें से मात्र 2648 निर्माण कार्य ही रिकार्ड में अधूरे दिख रहे।

- पूर्व सीईओ ने भी लगाई थी ताकत...


पूर्व जिला पंचायत सीईओ अभिलाष मिश्र के कार्यकाल में भी निर्माण कार्यो की सीसी जारी करने को लेकर खूब ताकत लगाई गई थी, दबाव भी बनाया गया था और एक अभियान भी चलाया गया था।

- मनरेगा में चार वर्ष में निर्माण कार्यो की स्थिति...

 

- वर्ष 2021-22


स्वीकृत कार्य- 183029
अपूर्ण कार्य- 5095

- वर्ष 2022-23


स्वीकृत कार्य- 16872
अपूर्ण कार्य- 2648

- वर्ष 2023-24


स्वीकृत कार्य- 5288
अपूर्ण कार्य- 4062

- वर्ष 2024-25


स्वीकृत कार्य- 419
अपूर्ण कार्य- 323

- क्या शासकीय योजनाओं का डेटा उपलब्ध कराने से देश की सुरक्षा पर भी कोई असर पड़ सकता है क्या साहब..?


जिला पंचायत बैतूल में एक ट्रेंड बन गया है कि मनरेगा सहित अन्य योजनाओंं के जो नोडल है और उसका डेटा वगैरहा को अपडेड रखते है।  वे उस डेटा को सार्वजनिक करने या मीडिया को उपलब्ध कराने में आनाकानी करते है। डेटा उपलब्ध कराने के लिए जोर दिया जाता है तो वे कहते है कि साहब बुरा मान जाएंगे। वे यहां तक बताते है कि साहब ने कोई व्हाट्सएप ग्रुप बनवाया है। जिसमें वे अनुकुल डेटा उपलब्ध करा देते है। डेटा उपलब्ध न कराने की स्थिति पिछले जिला पंचायत अभिलाष मिश्र के दौर से ही देखने में आ रही है। यह यूपीएससी से आने वाले आईएएस अधिकारी यह समझते है कि डेटा सामने नहीं आएगा तो यह सार्वजनिक नहीं होगा कि वास्तविक स्थितियां क्या है। जबकि मनरेगा जैसी योजना में पारदर्शिता सबसे बड़ा पैरामीटर है और उसका डेटा ऑनलाईन भी उपलब्ध है। इसके बावजूद डेटा देने में आनाकानी को लेकर पिछले जिला पंचायत सीईओ को एक मीडियाकर्मी ने फोन लगाकर कहा भी था कि क्या साहब यह डेटा सार्वजनिक हो जाने से देश की सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी! क्या यह डेटा उपलब्ध करा देने से पड़ोसी देश क्या हमारे देश पर हमला कर देगा? उन्होंने तो यह बात सुनकर कहा भी था कि उन्हें कोई दिक्कत नहीं है। अब सवाल यह है कि कि वर्तमान सीईओ के दौर में भी कतिपय योजना के नोडल साहब की आड़ में डेटा उपलब्ध कराने से बचते है?
नवल वर्मा हेडलाईन बैतूल 24 अगस्त 2024