(बैतूल) ओम सांई विजन ने नपा के वाहनों को बना दिया कबाड़ फिर भी उसे ही फिर ठेका देने की तैयारी! - कंपनी के हित साधने में नपा के कुछ अधिकारियों का प्रेम दिखाई देता है
बैतूल(हेडलाईन)/नवल वर्मा। बैतूल नगरपालिका के लिए सफाई ठेका कंपनी ओम सांई विजन को सफेद हाथी पालने जैसा माना जाता है। करीब-करीब 22 लाख रूपए महीना लेने वाली यह कंपनी डोर-टू-डोर कचरा संग्रह का काम देखती है, लेकिन इस कंपनी ने नगरपालिका की संपत्ति माने जाने वाले कचरा संग्रहण वाहनों को पिछले पांच वर्ष में कबाड़ा बना दिया है। कुछ वाहनों की हालत तो ऐसी हो गई है कि गीले कचरे का गंदा पानी वाहन चलने के साथ उसके नीचे से बहता है। कुछ वाहनों के टायर, बैटरी आदि बेकाम स्थिति में आ चुके है। कंपनी ने कभी भी प्रापर तरीके से सभी वाहनों का फिटनेस ऑडिट नहीं कराया और न ही उसके आधार पर उसका मेंटनेंस कराया गया। नगरपालिका की स्वास्थ्य शाखा में बैठे जिम्मेदार सहित अन्य अधिकारियों ने भी समय-समय पर नगरपालिका के कचरा वाहनों के मेंटनेंस को लेकर कंपनी को नियम अनुसार काम करने के लिए प्रक्रिया ही नहीं की। इसलिए कंपनी भी पिछले पांच वर्ष से इन वाहनों का भरपूर दोहन कर पैसा कमाती रही पर इन पर खर्च कुछ नहीं किया।
- हींग लगे ना फिटकरी और रंग चोखा वाले अंदाज में ओम सांई विजन ने किया दोहन...
बैतूल में डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन का ठेका लेने वाली कंपनी का पिछले पांच वर्ष में कमाने के अलावा एक रूपया भी खर्च नहीं हुआ। कंपनी को कोई भी वाहन आदि खरीदना नहीं पड़ा। तमाम वाहन नगरपालिका के थे, जो लोगों के टैक्स के पैसे से खरीदे गए थे। केवल इन वाहनों को वार्डवार चलाने का काम करने में ही कंपनी ने 22 लाख रूपए महीने नगरपालिका से वसूल किए है।
- मनमाना काम किया, लेकिन टेंडर शर्तो के अनुसार कंपनी पर कभी जुर्माना नहीं लगाया...
ओम सांई विजन को जो डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन का ठेका मिला था, उसकी शर्तो में स्पष्ट लिखा था कि कंपनी का काम संतोषजनक नहीं होने पर उस पर जुर्माने की कार्रवाई की जाएगी। वाहनों का समय पर मेंटनेंस नहीं करने पर भी कंपनी पर जुर्माने की कार्रवाई होगी। बताते है कि कंपनी का स्वास्थ्य शाखा से लेकर अकाउंट शाखा होते हुए हर जगह इतना बढिय़ा मैनेजमेंट है कि सब अनदेखी करते है।
कर्मचारियों का ईपीएफ तक जमा करने में ओम सांई विजन ने खूब किया शोषण
ओम सांई विजन ने जिन कामगारों का उपयोग किया है वे स्थानीय ही है, लेकिन उन्हें कलेक्ट्रेट रेट पर भी भुगतान नहीं किया गया। उन कर्मचारियों द्वारा कई बार सीएमओ से लेकर कलेक्टर तक को ज्ञापन दिए गए, लेकिन किसी ने भी उनकी सुनवाई नहीं की। उन्हें 6-7 हजार रूपए महीना दिया जाता है और कई घंटे काम लिया जाता है। यह भी है कि कंपनी ने उनके ईपीएफ का पैसा भी जमा नहीं किया है।
इनका कहना...
- कंपनी से हर माह एसडी का पैसा काटा जाता था, उसकी एफडी भी जमा है। कंपनी ने कुछ वाहनों का मेंटनेंस कराया है, यदि बाकी का नहीं कराएंगे तो हमारे पास यह राशि जमा है। उस पर जुर्माने की कार्रवाई हुई या नहीं यह मैं देखकर बता पाउंगा।
- ओमपाल सिंह भदौरिया, सीएमओ, नगरपालिका, बैतूल।
- सफाई ठेका पद्धति में स्थानीय ठेकेदारों का कंपनी ने शोषण किया है। वहीं वाहनों को कबाड़ा बना दिया है। जिम्मेदारों ने जानबूझकर यह सब होने दिया। परिषद में यह बात उठी थी।
- नंदनी तिवारी, पार्षद,
नगरपालिका, बैतूल।
नवल वर्मा हेडलाईन बैतूल 30 सितम्बर 2024