(बैतूल) नपा के जिस अधिकारी या जनप्रतिनिधियों से पूछो वही कहता है कि सर्विस ठीक नहीं हैं..! - जिस ओम सांई विजन के काम से असंतुष्ट उसके लिए क्यों बदली जा रही शर्ते..?
बैतूल(हेडलाईन)/नवल वर्मा।
बैतूल शहर की सफाई व्यवस्था जिसमें डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन का ठेका जिस ओम सांई विजन के पास है उसको लेकर आम चर्चा में नगरपालिका के जिम्मेदार अधिकारी और जनप्रतिनिधि यह कहते दिखाई देते है कि इसका काम संतोषजनक नहीं है और हम चाहते भी नहीं है कि इससे काम कराए। इसके बावजूद यदि टेंडर में ऐसी शर्ते किसने क्यों डलवाई जिसमें ओम सांई विजन के लिए टेंडर लेना आसान हो? जबकि शहर में डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन में तमाम संसाधन बैतूल नगरपालिका के ही है। सिर्फ सर्विस कॉडिनेशन के लिए पिछले 5 वर्ष से ओम सांई विजन हर महीने 22 लाख रूपए लेते आ रही है। इन 22 लाख रूपए में कर्मचारियों का पारिश्रमिक ही कंपनी द्वारा दिया जाता है। इसमें भी कर्मचारियों के साथ धोखा और शोषण होने की शिकायतें होती है। आश्चर्यजनक बात यह है कि जो कर्मचारी ओम सांई विजन में अपनी सेवाएं दे रहे है, उनके साथ होने वाले अन्याय को लेकर ज्ञापन और आवेदन के बाद भी ना तो नपा कोई कदम उठाती है और न ही श्रम विभाग ध्यान देता है।
- सफाई ठेके टेंडर में शर्ते बदले जाने का मामला लगातार पकड़ रहा तूल...
जबसे यह बात सामने आई है कि सफाई ठेके के लिए जो टेंडर लगाए गए है, उसमें शर्ते बदली गई है। शर्ते क्यों बदली गई है यह मुद्दा नपा से जुड़े जनप्रतिनिधियों में खासा चर्चा का विषय है। विपक्ष के ही नहीं सत्तापक्ष के पार्षद भी यह बात कह रहे है कि यह शर्ते किसने बदलवाई और क्यों बदलवाई? जबकि सभी पार्षद अक्सर यह बात कहते है कि ओम सांई विजन का काम संतोषजनक है ही नहीं?
- 5 वर्ष में ओम सांई विजन अलग-अलग कचरा डालने का सिस्टम नहीं बना पाई...
नगरपालिका के जो कचरा वाहन डोर-टू-डोर जाते है, उसमें नियम और सिस्टम यह है कि गीला कचरा अलग डाला जाए और सूखा कचरा अलग डाला जाए। 5 वर्ष होने जा रहे है, लेकिन अभी भी शहर में घर के सामने खड़े होने वाले कचरा कलेक्शन वाहन में गीला कचरा और सूखा कचरा अलग-अलग नहीं डाला जा रहा है, जबकि वाहन में जो कलेक्शन का टैंक है उसमें अलग-अलग कचरा डालने की व्यवस्था है।
- पहला टेंडर निरस्त कर दूसरा टेंडर लगाना ही पूरी प्रक्रिया पर लगा रहा प्रश्र चिन्ह...
ओम सांई विजन की टेंडर अवधि समाप्त होने के बाद शहर में सफाई व्यवस्था के लिए पुन: टेंडर लगाए जाने के मामले में यह भी सामने आ रहा है कि जिस टेंडर में नई शर्त जोड़ी गई है वह दूसरा टेंडर था। इसके पहले भी एक टेंडर लगाया था। इस टेंडर में इस तरह की शर्ते नहीं थी। वहीं जब ओम सांई विजन का पहली बार टेंडर स्वीकृत हुआ था उसमें भी इस तरह की शर्ते शामिल नहीं थी।
- क्या वाद के चक्कर में कोई अधिकारी तिकड़म लगा रहा...
इधर टेंडर शर्ते बदले जाने के बाद इस बात की भी चर्चा जोरों पर है कि निविदा की जो तकनीकी समिति है उसमें एक ऐसा भी अधिकारी है जिसकी शर्ते बदले जाने की भारी रूचि थी। उक्त अधिकारी का सफाई ठेका कंपनी से वाद वाला प्रेम बताया जाता है। जो उक्त कंपनी के संचालक है वह भी उक्त अधिकारी के सामाजिक गणित में फिट बैठते है। सरनेम के आधार पर इस तरह के आंंकलन भी नगरपालिका में जारी चर्चाओं में सामने आ रहे है?
नवल वर्मा हेडलाईन बैतूल 02 अक्टूबर 2024