(बैतूल) टेंडर में तीन स्पेशल शर्ते किसने जोड़ी कैसे जोड़ी - जिम्मेदार कर रहे है टालमटोल..! , - बैतूल नपा के 5 करोड़ के सफाई ठेके को लेकर सवालों के घेरे में है टेंडर बनाने वाली समिति..?
बैतूल(हेडलाईन)/नवल वर्मा। बैतूल नगरपालिका में डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन के लिए 24 सितम्बर को एक टेंडर दूसरी बार लगाया गया। जिसमें तीन-चार नई शर्ते जोड़ी गई। यह शर्ते ऐसी थी, जिसे देखकर कोई भी आसानी से समझ सकता था कि यह केवल ओम सांई विजन जैसी कंपनी के लिए ही अनुकुल है। खैर इन टेंडर शर्तो को जोड़े जानेे को लेकर जब नपा के प्रशासनिक सिस्टम के तमाम जिम्मेदार से बात की गई तो या तो वे एक दूसरे पर टालमटोल कर रहे थे या फिर यह दावा कर रहे थे कि अन्य निकायों के टेंडर से इन शर्तो को लिया गया है। उनके इस जवाब पर जब यह पूछा गया कि वह कौन से निकाय है जिनसे यह शर्ते लेकर दूसरी बार टेंडर में जोड़ी गई। तो इसका जवाब गोलमोल तरीके से सामने आया। कोई भी किसी निकाय का नाम नहीं बता रहा था। समिति में शामिल सब इंजीनियर ब्रजेश खानूरकर ने जिस निकाय का नाम बताया उसमें इस तरह की तीन-चार शर्ते सामने ही नहीं आई। अब सवाल यह है कि यह शर्ते धरती से उगी है या आसमान से टेंडर प्रपत्र में टपकी है।
- इन टेंडर शर्तो पर है प्रश्र चिन्ह...
1 - निविदाकर्ता के पास मप्र राज की एक स्थानीय शहरी निकाय में लगातार घर-घर कचरा संग्रहण एवं परिवहन सहित आईईसी का न्यूनतम तीन वर्ष का कार्य अनुभव होना आवश्यक है।
2 - निविदाकर्ता के पास मप्र राज के किन्ही तीन निकाय में जिनकी जनसंख्या 10 लाख से कम न हो। स्वच्छ भारत मिशन अंतर्गत आईईसी गतिविधियों का 50-50 लाख की राशि का प्रत्येक निकाय का एक-एक कार्यादेश होना आवश्यक है।
3 - निविदाकर्ता का पिछले तीन वर्ष का न्यूनतम टर्नओवर 4 करोड़ रूपए होना आावश्यक है। दस्तावेज प्रमाण के रूप में चार्टर्ड अकाउंटेंट द्वारा प्रमाणित और हस्ताक्षरित प्रमाण पत्र होना आवश्यक है।
- सीएमओ का दावा...
चूंकि 5 करोड़ का टेंडर था इसलिए टेंडर प्रपत्र बनाने के लिए एक समिति गठित की गई थी। जिसके अध्यक्ष एई थे। उनके द्वारा जो प्रपत्र पेश किया गया उसके आधार पर टेंडर फाईनल हुआ।
-: एक्सपर्ट व्यू ...
भले ही समिति ने प्रपत्र बनाया हो, लेकिन टेंडर शर्तो पर उठ रहे सवाल से सीएमओ पल्ला नहीं झाड़ सकते।
- सहायक यंत्री का दावा...
जो निविदा समिति है उसके अध्यक्ष तो सीएमओ साहब है। निविदा प्रपत्र बनाने में किसी विशेष का सुझाव नहीं था। स्वास्थ्य शाखा से यह सुझाव आए थे। किसी एक का नाम नहीं ले सकते।
-: एक्सपर्ट व्यू ...
जब प्रपत्र बनाने के लिए बनाई समिति में अध्यक्ष बनाया तो इन्हें पता होना चाहिए कि कौनसी शर्त किसका सुझाव था।
- अकाउटेंट का दावा...
मैं समिति में जरूर हूं, लेकिन टेंडर में जो शर्ते जोड़ी गई उसको लेकर मुझे कोई जानकारी नहीं है। मुझे अकाउंट संंबधित सुझाव के लिए रखा गया था, एई साहब ही बता सकते है।
-: एक्सपर्ट व्यू ...
तीन शर्ते जोड़ी गई, वे अकाउटेंट से संबंधित ही है, ऐसे में जानकारी न होने का दावा योग्यता पर प्रश्र चिन्ह लगाता है।
- स्वच्छता निरीक्षक का दावा...
समिति में सुझाव आया था और अलग-अलग निकायों से यह शर्ते ली गई है। अब ऐसा बताना मुश्किल है कि कौनसे निकाय से कौनसी शर्त ली गई है। बेहतर टेंडर के लिए शर्ते ली गई है।
-: एक्सपर्ट व्यू ...
जिस विभाग का टेंडर है, उसे ही नहीं पता कि किस निकाय से दूसरी बार टेंडर में शर्ते ली जा रही है, यह असंभव है।
- सब इंजीनियर का दावा...
जिन शर्तो की आप बात कर रहे हो ऐसी शर्ते अलग-अलग निकायों के टेंडर में भी होगी। छिंदवाड़ा का टेंंडर चेक करा ले। टेंंडर प्रपत्र के आखरी में लिखा है कि उक्त शर्ते समिति के ज्ञान के आधार पर है।
-: एक्सपर्ट व्यू ...
जिस ज्ञान की बात कर रहे है, वह निविदा स्वीकृति के बाद के लिए है और जैसा बोल रहे है वैसा उसका मतलब नहीं।
नवल वर्मा हेडलाईन बैतूल 10 अक्टूबर 2024