(बैतूल) शहर में खुलेआम चाकूबाजी जैसी गुंडाई के लिए जिम्मेदार कौन..? - शहर कोतवाल पुलिसिंग करने की जगह टिके रहने के लिए पॉलिटिक्स करने में सिद्धहस्त है , - पूरा शहर बैतूल विधायक और केन्द्रीय राज्य मंत्री के एक्शन का कर रहा इंतजार
बैतूल(हेडलाईन)/नवल वर्मा। बैतूल शहर में जिस तरह से खंजनपुर क्षेत्र में खुलेआम चाकूबाजी हुई और 6 लोगों को गंभीर रूप से जख्मी किया गया, उस मामले से शहर में दहशत का माहौल है। कोतवाली क्षेत्र में हुई इस वारदात में भले ही पुलिस ने आरोपियों को हिरासत में ले लिया हो और लोगों को आक्रोश देखते हुए कथित रूप से जुलूस निकाल दिया हो, लेकिन यह सब महज लीपापोती से ज्यादा लोगों को नजर नहीं आ रहा। बैतूल कोतवाल और उनकी वर्किंग को लेकर तमाम तरह के प्रश्र चिन्ह है। जो उनकी वर्किंग को जानते समझते है, उनका तो दो टूक शब्दों में कहना है कि वे पुलिसिंग छोडक़र कुछ और ही कर रहे है। जानकार तो यहां तक कहते है कि कोतवाल बनने से लेकर बने रहने तक के लिए बेहतरीन पुलिसिंग की जगह पॉलिटिक्स का सहारा लेते है। खैर शहर में इस घटना के बाद लोगों में गहरा आक्रोश है और शहर के जागरूक तथा संभ्रात नागरिक बैतूल के तेज तर्रार विधायक और संवेदनशील केन्द्रीय मंत्री की ओर इस उम्मीद से देख रहे है कि वे कौनसा एक्शन लेते है? इस घटना ने साबित कर दिया कि कोतवाली क्षेत्र में बदमाशों में नहीं बल्कि शरीफ लोगों को अब पुलिस से डर लगता है!
आम नागरिकों के गुस्से के बाद जुुलूस निकालने जैसी लीपापोती
चाकूबाजी घटना के बाद लोगों में भारी आक्रोश था और चक्काजाम करने सडक़ पर उतर गए। इसके अलावा जिन पर हमला हुआ वे आदिवासी तबके के व्यक्ति थे, इस बात को देखते हुए युवा आदिवासी विकास संगठन जैसे आदिवासी संगठन भी विरोध प्रदर्शन करते है और ज्ञापन देते है। इस स्थिति में डैमेज कंट्रोल करने के लिए पुलिस आरोपियों का कथित रूप से जुलूस निकालती है, लेकिन लोगों का मानना है कि यह सिर्फ लीपापोती की जा रही थी, इससे कुछ नहीं होता।
क्या हमारे बैतूल के माननीयों को कोतवाल की यह वर्किंग नहीं पता?
1- धोखाधड़ी कर जमीन की रजिस्ट्री करवाने की शिकायत में दो ढाई महीने तक एफआई दर्ज नहीं की जाती जब तक की आरोपी पक्ष पूरे मामले में फरियादी से समझौता नहीं कर लेता?
2- जिस अवैध कालोनी में कलेक्टर के आदेश पर एफआईआर होती है, उसमें आरोपी कालोनाईजर को हाईकोर्ट तक अग्रिम जमानत का मौका दिया जाता है और अग्रिम जमानत कैसिंल होने पर भी नियम अनुसार गिरफ्तार नहीं किया जाता?
3- ठगी और अड़ीबाजी जैसे मामलों में आवेदन पेडिंग पड़े रहते है, कोतवाल एफआईआर दर्ज नहीं करता और आरोपी पक्ष को पता भी चल जाता है कि उसकी प्रमाण के साथ लिखित शिकायत हुई है?
4- कोतवाली क्षेत्र में सट्टा इतने खुलेआम चल रहा है कि किसी भी सट्टा खबाड़ के खिलाफ कोई ठोस एक्शन ही नहीं हो रहा?
नवल वर्मा हेडलाईन बैतूल 18 अक्टूबर 2024