(बैतूल) जहां वर्षो से बने हुए है आवास वहां पट्टा देने में आड़े आ रहा कागज पर ऊगा जंगल , - छोटे-बड़े झाड़ जंगल मद के चक्कर में शहरी क्षेत्र में अटक रहे धारणाधिकार के पट्टे
बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा। बैतूल जिले में जमीन के मामलों में छोटा-बड़ा जंगल मद चट्टान मद, चरनोई भूमि जैसे कई मसले है। जो अक्सर सरकारी योजनाओं या विकास कार्य के मामले में जमीन की उपलब्धता में बड़ा रोढ़ा बनकर सामने आते है। अब नया मसला यह है कि बैतूल शहर सहित अन्य नगरीय निकाय में शासन की योजना धारणाधिकार के तहत पट्टे दिए जाने में भी छोटा-बड़ा जंगल मद की जमीन अड़ंगा लगाने का काम रही है। इन आवासीय पट्टों को दिए जाने में आवेदन निरस्त हो रहे है। शहर में भी जहां मकान बने है वहां पर भी कागजों में छोटे-बड़े झाड़ का जंगल ऊगने का मामला तब सामने आया है जब बैतूल विधायक हेमंत खण्डेलवाल ने एसीएस के साथ जनप्रतिनिधियों की बैठक के दौरान बैतूल जिले में 4 हजार से अधिक आवासीय पट्टे निरस्त होने का मामला उठाया। तब बताया गया कि शहरी क्षेत्र में कहां-कहां पर कितने पट्टे छोटा-बड़ा जंगल मद की जमीन के चक्कर में निरस्त किए गए है। जो अधिकारी पट्टे निरस्त कर रहे है वे इसका कोई समाधान ढूंढने का कतई प्रयास नहीं कर रहे है। इसलिए बैतूल विधायक के मुद्दा उठाने के बाद भी इस मामले में जिम्मेदार अधिकारियों ने हितग्राहियों को पट्टा मिले इसके लिए कोई पहल नहीं की है।
- क्या है छोटे-बड़े जंगल मद का चक्कर...
अंग्रेजों के समय 1911-12 में मिसल बंदोबस्त हुआ था। उस समय जमीनों को सरकारी रिकार्ड में मद और प्रयोजन के आधार पर वर्गीकृत किया गया था। उस समय खसरे में जमीनों को छोटा-बड़ा जंगल मद, चट्टान मद, चरनोई मद आदि में दर्ज किया गया था। इसके बाद इसी मिसल बंदोबस्त के आधार पर 1950 के निस्तार पत्रक में भी दर्ज कर लिया गया। जिन जमीनों के खसरे में 1911-12 की स्थिति में जो स्थिति दर्ज थी, उसे ही उस जमीन का मद और प्रयोजन माना गया।
- सुप्रीम कोर्ट 2003 का आदेश है हल...
छोटा-बड़ा जंगल मद की भूमि राजस्व रिकार्ड में दर्ज होने को लेकर 12 दिसम्बर 1996 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश क्रमांक 202/96 में गोदावर्मन वर्सेस भारत सरकार ने फैसला लिया था कि इस तरह की जमीनों के मद में किसी भी तरह का कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता। इस स्थिति के कारण सरकार डेव्हलपमेंट प्रोजेक्ट के लिए जमीनें नहीं मिलने पर वर्ष 2002 में फिर सुप्रीम कोर्ट जाती है, जिसमें 2003 में सुप्रीम कोर्ट पुन: आदेश देता है कि 200 हेक्टेयर से कम की इस तरह की जमीनों में निर्माण किया जा सकता है।
- धारणाधिकार के 178 पट्टे निगल गया छोटा-बड़ा झाड़ का जंगल...
जिले में धारणाधिकार के तहत 4 हजार 175 आवेदन आए, जिसमें से 619 आवेदन स्वीकृत किए गए और 2396 आवेदन अस्वीकृत हुए। वहीं 1161 आवेदनों का निराकरण शेष है। जिसमें बैतूल नपा क्षेत्र में 155, आठनेर में 2 और भैंसदेही में 21 आवेदन छोटा-बड़ा जंगल मद में बताकर निरस्त किए।
- नगरीय क्षेत्र में शामिल हुए पुराने ग्रामीण इलाकों में है यह मद की दिक्कत...
जो शहरी क्षेत्र के पुराने इलाके है वहां पर तो नजूल मद होने से दिक्कत नहीं है, लेकिन बाद में जो ग्रामीण क्षेत्र में नगरीय क्षेत्र में शामिल किया गया, वहां पर मद को लेकर दिक्कतें आती है। जैसे बैतूल नगरीय क्षेत्र में बदनूरढाना आदि को शामिल किया गया था और यहीं पर निस्तार अभिलेख में जमीनों का मद दिक्कत देता है।
@साभार राष्ट्रीय दिव्य दुनिया
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 22 नवंबर 2024