(बैतूल) योजनाओं का किसानों को जिस फार्मर आईडी से मिलेगा लाभ उसे बनाने की रफ्तार है सुस्त , - तीसरा राजस्व अभियान चलने के बावजूद भी करीब 13 फीसदी ही बन पाई आईडी

बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा। आम नागरिक पेंशनरों और छात्रों के बाद अब किसानों का डेटा भी सरकार अपने पास एकत्र कर रही है। ऑनलाईन तरीके से यह डेटा कलेक्ट किया जा रहा है। इसके लिए किसान कल्याण विभाग द्वारा फार्मर आईडी की प्रक्रिया शुरू की गई है। आईडी हासिल करने के लिए किसानों को अलग-अलग माध्यम से पंजीयन कराना होगा। यह योजना का पहला चरण है। इसके लिए कुल तीन चरण है। इस आईडी के होने के बाद ही राज्य और केन्द्र सरकार की योजनाओं का लाभ किसानों को मिलेगा। यह आईडी आधार नंबर से लिंक होगी। इसके साथ ही हर कृषि भूमि का भी पहचान पत्र यानी फार्म लेंड आईडी बनाई जाएगी। इसके लिए राज्य सरकार केन्द्र को हर जमीन की डिटेल देगी। वहां से आईडी राज्यों को दी जाएगी।
- ऐसे बनेगी आईडी ...
किसान आईडी मोबाईल एप से बनेगी। कॉमन सर्विस सेंटर के माध्यम से भी बन सकती है। पटवारी द्वारा राजस्व वेबसाईट से भी बनाई जा सकती है। वेबसाईट mkisan.gov.in से भी बनाई जा सकती है। इसके अलावा ई-केवाईसी के लिए किसानों को फार्म सबमिट होने के बाद पटवारी उसका वेरीफिकेशन करेंगे फिर 24 घंटे बाद आईडी बनेगी।
- यह दस्तावेज चाहिए ...
किसान फार्मर आईडी बनाने के लिए कृषि भूमि स्वामी का बी-वन खसरा या ऋण पुस्तिका सहित आधार कार्ड चाहिए। इसके अलावा किसान जमीन बेचने के बाद भी अपने पुराने दस्तावेज से किसान क्रेडिट कार्ड बनवा लेते थे अब यह संभव नहीं होगा। आईडी से पता चल जाएगा कि वह भू स्वामी है या नहीं। बताया जा रहा है कि पुराना रिकार्ड चेक करने के बाद ही फार्मर आईडी बन रही है।
- फार्मर आईडी से फायदे...
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि सहित केन्द्र की 6 योजनाओं के लिए जो अलग-अलग तरीके अपनाए जाते थे और इसमें किसान परेशान होता था अब उसे परेशान नहीं होना पड़ेगा। इसके अलावा मुख्यमंत्री सम्मान निधि, मृदा स्वास्थ कार्ड, कृषि मशीनीकरण योजना जैसी राज्य सरकार की योजनाओं का भी लाभ इसी फार्मर आईडी के माध्यम से मिलेगा। किसान का यह पहचान पत्र होगा।
- राजस्व अभियान 3.0 में 243458 में से मात्र 46824 ही आईडी बनी...
15 नवम्बर को राजस्व अभियान 3.0 लांच किया गया है। इसमें पटवारियों को फार्मर आईडी बनाने के आदेश और टारगेट है। कलेक्टर लगातार समीक्षा कर रहे है। कमिश्रर भी वीसी के माध्यम से समीक्षा कर रहे है। इसके बावजूद हालत यह है कि 2 लाख 43 हजार 458 में से 46 हजार 824 आईडी ही बन पाई है जो कि करीब-करीब 13 फीसदी है।
तहसील टारगेट
आमला 33732
आठनेर 20989
बैतूल 37594
बैतूल नगर 170
भैंसदेही 30974
भीमपुर 1438
चिचोली 16070
घोड़ाडोंगरी 30154
मुलताई 32693
प्रभातपट्टन 29160
शाहपुर 22519
@साभार : राष्ट्रीय दिव्य दुनिया
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 11 दिसम्बर 2024