बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा। किसानों की कल्याणकारी योजनाओं में पारदर्शिता के लिए किसानों की फार्मर आईडी बनाई जा रही है, लेकिन अलग-अलग कारणों से यह आईडी बनाने का काम रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा है और हालत यह है कि अभी तक मात्र करीब 47 हजार किसानों की ही आईडी बन पाई है। आईडी न बन पाने की स्थिति में जनवरी माह से जो किसानों की सम्मान निधि के जो 12 हजार रूपए मिलते है वह अटक सकते है। बताया जा रहा है कि सरकार अब फार्मर आईडी के आधार पर ही किसान सम्मान निधि जैसी योजनाओं का लाभ देगी। यदि यह आईडी 30 दिसम्बर तक नहीं बनी तो जनवरी माह और उसके बाद आने वाले किसान सम्मान निधि की राशि किसानों के खाते में नहीं आएगी। अब इस स्थिति के लिए क्या राजस्व का अमला जिम्मेदार है या स्वयं किसान या फिर वह ऑनलाईन सिस्टम जिससे यह आईडी जनरेट होना? जो भी हो लेकिन तीसरा राजस्व अभियान चलने के बावजूद भी फार्मर आईडी इतनी कम बनना प्रशासनिक सिस्टम पर सवाल तो खड़े करता है। खैर अभी जो रफ्तार है उसमें उम्मीद नहीं की सभी किसानों की आईडी बन पाएगी। जिस तरह से वर्तमान में बमुश्किल 15 से 18 फीसदी किसानों की आईडी बनी है उससे आने वाले समय में यह संख्या बहुत ज्यादा बढ़ेगी। इसकी उम्मीद करना बेमानी होगी।

 

- फार्मर आईडी बनाने में इस तरह की आ रही है तकनीकी दिक्कत...

1 - समय पर वेबसाईट या एप ही ओपन नहीं होता है। 

2 - फेस एप भी काम नहीं करता है। 

3 - लैंड मैच न होने से सर्वर नंबर मैच नहीं होता।

4 - ई-केवायसी के नाम का भू-अभिलेख के नाम से मैच नहीं होता।

5 - लॉगिन और ओटीपी आदि की भी समस्या आती है। 

6 - कई बुजुर्ग किसानों के पास मोबाईल नहीं है। 

7 - वेबसाईट पर नाम ना मैच होने के कारण दिक्कत।

फार्मर आईडी से किसानों को इस तरह से मिलेेंगे योजनाओं के लाभ

1 - किसान फार्मर आईडी से ही भविष्य में किसान सम्मान निधि का लाभ मिलेगा। 

2 - किसान संबंधित जो भी सरकारी योजना है उसका लाभ अब फार्मर आईडी से मिलेगा। 

3 - भू-अभिलेख में परिवर्तन होने पर पोर्टल पर जानकारी अपने आप में अपडेट हो जाएगी। 

4 - प्राकृतिक आपदा में क्षतिपूर्ति राशि के लिए किसानों को चिन्हित करना आसान होगा। 

5 - समर्थन मूल्य पर फसलों के पंजीयन में सुगमता होगी।

सितम्बर से शुरू हुआ अभियान लेकिन अब तक 46 हजार की ही बनी आईडी

किसान फार्मर आईडी केन्द्र सरकार की स्कीम है और इसकी शुरूआत सितम्बर माह से शुरू हुई थी। शुरू में साफ्टवेयर खुलने में दिक्कत आने से आईडी बनाने की रफ्तार बहुत ही धीमी थी। दो महीने बाद भी स्थिति में कोई खास परिवर्तन नहीं आया है। जिले में 2 लाख 43 हजार 458 किसानों की आईडी बनना था, लेकिन 46 हजार किसानों की ही आईडी बन पाई है।

@साभार : राष्ट्रीय दिव्य दुनिया 

नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 14 दिसम्बर 2024