बैतूल(हेडलाइन)। इन दिनों जिले भर में जुंआ चलने को लेकर अलग-अलग तरह की सुर्खियाँ सामने आ रही है। कहीं पता लगता है कि फलाना! चला रहा है तो कहीं पता चलता है कि धीखाना! चला रहा है तो कहीं पर किसी का नाम आता है अब पता नहीं कौन चला रहा है और कौन चलवा रहा है? लेकिन पिछले एक सप्ताह से ऐसा लग रहा है कि जिले के हर थाना क्षेत्र में कैशिनों खुल गए है और जहां खुली परमिशन के साथ जुंआ चल रहा है! सबसे ज्यादा चर्चित चिचोली, सारनी, मुलताई, आठनेर आदि थानों का नाम आ रहा है। दावा तो ऐसा किया जाता है कि जैसे इस तरह की जुएं की फङ को परमिशन दी गई है। हालांकि जिस तरह से पुलिस अधीक्षक इस तरह के अवैध कारोबार को लेकर घृणा का भाव रखते है, उसे देखते हुए लगता नहीं है कि परमिशन जैसा कुछ होगा फिर भी थाना प्रभारियों का मन जुएं की कमाई को लेकर यदि डोल जाता है तो कोई क्या कह सकता है? अब सवाल यह है कि जुएं को लेकर यह जो धुंआ मीडिया के माध्यम से फैल रहा है, इसके सूत्रधार कौन है? इसको लेकर विवेचना होनी चाहिए? वैसे बताया जा रहा है कि जुंआ चलाने वाला जब देखता है कि उसकी फड़ पर जुंआरी नहीं आ रहे किसी और की फड़ पर खूब आ रहे है तो वही मीडिया में लीक करता है कि फलाने की फड़ पर खूब जुंआ चल रहा है। फिर सूर्खिया बनने लगती है। फिर जिसकी फड़ पर चल रहा होता है वह मैनेजमेंट करता है और किसी और की फड़ की जानकारी भी साझा कर लेता है और कहता भी है कि अकेले मेरा गला मत दबाओ थोड़ा उधर भी चले जाओ? हाल ही में मुलताई में किसी का जुंआ पकड़ा गया था, वहां पर किस-किस को पकड़ा इसको लेकर भी खूब चर्चाए है! वहीं कोतवाली पुलिस ने तो गुरूवार रात को 11 बजे प्रेस नोट जारी कर बताया कि दबिश देकर जुंआरियों को पकड़ा गया है। खैर वर्तमान कप्तान के रहते हुए जुंआरियों की बिल्कुल खैर नहीं है! यदि कोई थाना प्रभारी गलती से भी चलवा रहा है तो उसे तत्काल बंद करा देना चाहिए? वैसे बैतूल में जुएं सट्टे वालों पर दबिश बनाकर कई असामाजिक तत्व भी पल रहे है! ऐसे में कप्तान भी बहुत दुखी है?