बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा। मोहन सरकार के इस एक वर्ष के कार्यकाल में तीसरा राजस्व महाअभियान अभी 26 दिसम्बर को ही खत्म हुआ है। इस राजस्व अभियान को लेकर भले ही आंकड़े कुछ भी बयां करते हो लेकिन मैदानी हकीकत कुछ और ही है। राजस्व विभाग के अधिकारी और मैदानी कर्मचारी खुली भर्राशाही करते है। इसका सबसे बड़ा परिणाम सीएम हेल्पलाईन और जनसुनवाई है, जहां सर्वाधिक शिकायतें राजस्व विभाग की ही रहती है। यह इसलिए होती है कि राजस्व विभाग में पटवारी से लेकर तहसीलदार और एसडीएम तक मामलों को जानबूझकर लंबित रखते है। ऐसा करने के पीछे इनका कौनसा एजेंडा होता है यह जगजाहिर है और जांच का विषय है। अक्सर ऐसे मामले भी सामने आते है, जिसमें राजस्व के अधिकारी जानबूझकर नियम अनुसार कार्रवाई नहीं करते और कई बार तो खुलकर आरोप लगते है कि आवेदनकर्ता से रिश्वत मांगी जा रही है। एक तरफ सुशासन का दावा किया जाता है, दूसरी तरफ नामांतरण, बंटवारा, सीमांकन, कब्जा जैसे वैध और गैर विवादित प्रकरणों में भी आम आदमी हैरान परेशान भटकता है और जब तक अधिकारी-कर्मचारी की मुराद पूरी नहीं होती काम हो ही नहीं सकता है। इसी तरह अवैध कालोनियों को जन्म देने के लिए भी राजस्व विभाग ही सबसे बड़ा जिम्मेदार है।

- एसडीएम के आदेश-निर्देश के बाद भी तहसीलदार नहीं दिलवा रही है कब्जा...
तहसील मुलताई के मासोद निवासी शंकरराव पिता मुंकदीराव धोटे ने विगत दिवस एक आवेदन कलेक्टर को दिया था, जिसमें बताया था कि उसके मकान पर एक प्रतिवादी द्वारा दूसरे लोगों की मदद से अवैध रूप से कब्जा कर लिया है, जिसमें अपर आयुक्त ने अपील मामले में अपर कलेक्टर और एसडीएम ने उनके पक्ष में फैसला दिया, लेकिन इसके बाद भी तहसीलदार मासोद द्वारा उसे कब्जा नहीं दिया जा रहा है, केवल पंचनामा बनाकर कार्रवाई को लंबित किया जा रहा है, उनके अनुसार एसडीएम ने भी इस संबंध में मौखिक निर्देश दिए, लेकिन कुछ नहीं कर रहे।

- बेजा कब्जा हटाने नायब तहसीलदार मांगता है 1 लाख रूपए की रिश्वत...
भैंसदेही तहसील के सिमोरी निवासी बनवारी और संतरी गत दिनों कलेक्टर को शिकायत करने आए थे, उनकी शिकायत यह थी कि दादूढाना निवासी अनावेदकों द्वारा उनके स्वामित्व की केरपानी स्थित जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया है और मकान निर्माण किया है।  जिसमें सीमाकंन के बाद नायब तहसीलदार ने उनके पक्ष में पूर्व में फैसला दिया था। अब उनका कब्जा हटाने को लेकर वर्तमान नायब तहसीलदार द्वारा 1 लाख रूपए की रिश्वत मांगी जा रही है। वे पूर्व में एसडीएम भैसदेही और तहसीलदार भैसदेही को जनसुनवाई में आवेदन दिए थे फिर भी कार्रवाई नहीं हुई।

- और इधर तहसीलों में धड़ाधड़ अमान्य किए गए थोक में नामांतरण के प्रकरण...
वर्तमान में चल रहे राजस्व महा अभियान 3.0 में नामांतरण के प्रकरणों का निराकरण जिस तरह से किया जा रहा है, वह जांच का विषय है। बताया गया कि अकेले बैतूल तहसील में दर्जनों की संख्या में प्रकरण निरस्त किए गए? जिससे कि निराकरण ज्यादा दिखे!
@साभार : राष्ट्रीय दिव्य दुनिया 
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 29 दिसम्बर 2024