(बैतूल) गवासेन में रेंजर के नाम पर संचालित हो रहे है मध्यप्रदेश शासन लिखे दो वाहन..! - बड़ा सवाल... डीएफओ के संज्ञान में होने के बावजूद भी हर मामले में रेंजर की कार्यप्रणाली पर साधे रहते है चुप्पी..?
बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा। किसी भी शासकीय विभाग में द्वितीय और तृतीय श्रेणी के अधिकारी को शासन द्वारा अधिकतम एक वाहन के लिए ही अधिकृत किया जाता है, लेकिन पश्चिम वन मंडल की गवासेन रेंज में रेंजर के नाम पर दो वाहन संचालित होते नजर आ रहे है! दोनों वाहन पर वन परिक्षेत्र अधिकारी की नेमप्लेट लगी हुई है? अब इसमें से दोनों वाहन शासकीय है या एक वाहन निजी है, यह जांच का विषय है? दोनों ही वाहन महिन्द्रा कंपनी के बोलेरो है? चूंकि दोनों पर मध्यप्रदेश शासन लिखा हुआ है! इसलिए यह माना जा रहा है कि दोनों वाहन शासन द्वारा ही संचालित हो रहे है? इनमें से एक वाहन पर एमपी-04-टीए-3872 भी पद नाम प्लेट के नीचे दर्ज है! वहीं दूसरे वाहन पर पदनाम प्लेट के नीचे नंबर अंकित नहीं है? इसलिए भी सवाल उठ रहे है? यदि रेंजर दो वाहन अपने पद नाम से संचालित कर रहा है तो यह शासन के राजस्व के अपव्यय की श्रेणी में आता है? रेंजर द्वारा दो वाहन अपने पद नाम से संचालित किए जाने के बावजूद संबंधित एसडीओ या डीएफओ द्वारा उस पर कोई आपत्ति नहीं लिया जाना भी प्रश्च चिन्ह लगाता है? चर्चाए है कि डीएफओ की उम्मीद पर खरा उतरने के कारण उक्त रेंजर को यह अतिरिक्त सुविधाएं अघोषित रूप से मिली हुई है? वहीं वन विभाग के ही एक एसडीओ स्तर के अधिकारी ने राष्ट्रीय दिव्य दुनिया से अनौपचारिक चर्चा में बताया कि किसी भी अधिकारी को एक से अधिक वाहन की पात्रता ही नहीं होती। यदि रेंज में दो वाहन है तो किसी एक वाहन पर ही रेंजर अपने पदनाम की प्लेट लगा सकता है। यदि वह ऐसा नहीं करता है तो यह कदाचरण की श्रेणी में आता है। इसे शासकीय धन अपव्यय की श्रेणी में रखा जाएगा। खैर यह दो वाहन का मामला खासा चर्चा का विषय है। उक्त दो वाहन को लेकर रेंजर से सरकारी दूरभाष नंबर पर संपर्क किया गया, लेकिन उनका मोबाईल स्वीच ऑफ बता रहा था।
@साभार : राष्ट्रीय दिव्य दुनिया
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 06 जनवरी 2025