बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा। पुलिस मर्डर के मामलों में खूब पत्रकारवार्ता करती है और खूब वाहवाही लेती है, लेकिन चोरी, लूट, डकैती और ठगी जैसी संगठित अपराध में कुछ खास नहीं कर पाती है? ज्यादातर मामलों में देखने में यह आता है कि वर्ष के आखरी में पुलिस इस तरह के अपराध में खात्मा काट देती है! बैतूल जिले में भी ऐसा ही कुछ देखने में आ रहा है? चोरी, लूट आदि के मामलों में पुलिस को कोई सफलता नहीं मिल रही है। वहीं चोरियां रोकने में भी पुलिस नाकाम नजर आ रही है? इसके अलावा ठगी की वारदातें भी लगातार बढ़ रही है और इन मामलों में भी पुलिस कुछ खास कर नहीं पा रही है? देखने में यह आ रहा है कि पुलिस की कोशिश यह होती है कि चोरी, लूट और ठगी जैसी वारदात में एफआईआर ही नहीं लिखी जाए! फरियादी पक्ष से केवल आवेदन लेकर रख लिया जाए। ऐसा करने से पुलिस पर उच्च स्तर से दबाव नहीं बन पाता है? यदि चोरी, लूट, ठगी जैसी वारदात के आंकड़े दिखाई देंगे तो समीक्षा के दौरान एसपी से लेकर आईजी और डीजीपी तक सवाल करेंगे, इसलिए थाना प्रभारी इस तरह के संगठित अपराध में अपराध दर्ज करने से बचते है। जैसा कि मुलताई थाने में देखने में आया। खैर पुलिस के ऊपर भी अलग तरह का वर्कलोड रहता है। वहीं सबसे बड़ी बात यह है कि थाना प्रभारियों में पुलिसिंग को लेकर बहुत इच्छा शक्ति और दृढ़ संकल्प नजर नहीं आता?

- गंज में 14 जुलाई को हुई व्यापारी के घर साढ़े पांच लाख की डकैती जैसी वारदात में कोई सुराग नहीं...
जुलाई 2024 को गंज व्यापारिक क्षेत्र में किराणा व्यापारी इम्तयाज के गोडाउन में 8 नकाबपोश बदमाशों ने लोहे का गेट कटर से काटकर और दरवाजे का ताला तोडक़र 5 लाख 50 हजार रूपए ले गए थे। इस वारदात में 8 बदमाश सीसीटीवी में कैद हुए थे। पुलिस ने मामले में अपराध दर्ज किया था और उस समय भी व्यापारियों ने नाराजगी जाहिर की थी तो एक हफ्ते में खुलासे का भरोसा दिलाया था।

- सारनी में भाजपा नेता के घर 19 अगस्त को हुई चोरी में भी अब तक पुलिस कुछ भी नहीं कर पाई है...
सारनी के मठारदेव वार्ड क्रमांक 1 में भाजपा अनुसूचित मोर्चा के पदाधिकारी सतीश बोरासी के घर 19 अगस्त को अज्ञात चोरों ने धावा बोलकर लाखों रूपए का मशरूका चुराकर ले गए थे। यह वारदात जब हुई जब वे एक समारोह में शामिल होने आकोला गए थे। इस मामले में सतीश बोरासी ने 10 लाख रूपए की चोरी होना बताया था। अभी तक पुलिस को कोई सफलता नहीं मिली है।

- इसलिए फेल होती है इस तरह के अपराध में पुलिस...
1- पिछले कुछ वर्षो में पुलिस का मुखबिरी तंत्र बचा ही नहीं है, उसकी जगह दलालों ने ले  ली है जो थाने और अधिकारियों के आसपास ही तरह-तरह के मुखौटे लगाकर मौजूद रहते है।
2 - पुलिस का डर नहीं बचा, वहीं पुलिसकर्मी भी वर्तमान माहौल में रिस्क लेने से बचते है। आबादी के हिसाब से पुलिस बल नहीं है और पुलिस के पास वर्कलोड ज्यादा है।
@साभार : राष्ट्रीय दिव्य दुनिया 
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 16 जनवरी 2025