बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा। अवैध कालोनी के मामले में जिम्मेदार अधिकारी और अमला समय रहते जानकारी होने के बाद भी एक्शन नहीं लेता इसलिए अवैध कालोनाईजरों को फर्क नहीं पड़ता है? सामान्य तौर पर देखा जाता है कि अवैध कालोनियों में जब पूरे प्लॉट बिक जाते है, तब पटवारी प्रतिवेदन देता है? तब तक इतनी देर हो चुकी होती है कि कालोनाईजर को उसके बाद होने वाली कार्रवाई से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता! ऐसा ही कुछ बैतूल-नागपुर फोरलेन पर लक्की ढाबे के पीछे ओमप्रकाश भोले और उसके पाटनर्स द्वारा काटी गई कालोनी के मामले में सामने आ रहा है? यहां पर ओमप्रकाश और शेखर  अधिकांश प्लॉट बेच चुके है! जबकि वहां किसी भी तरह की कोई मूलभूत सुविधा नहीं है? बताया गया कि इनके पास टीएनएसपी, विकास की अनुमति, रेरा, पीसीबी कंसल्टिंग आदि कुछ भी नहीं है! इन्होंने और इनके एजेंट नितेश वामनकर ने कालोनी को वैद्य और अप्रूव्ड बताकर प्लॉट बेच दिए है? यहां पर हजार से 1500 रूपए वर्गफुट में लोगों को प्लॉट बेचे गए है। बताया गया कि एक व्यक्ति ने तो बकायदा बुकिंग कर ली थी और एडवांस में बयाना भी दे दिया था, लेकिन जब उसे मौका मुआयना करने के बाद जो फीडबैक मिला तो उसने अपना पैसा वापस ले लिया। क्योंकि उसे समझ आ गया था कि इस कालोनी में झोलझाल है। करीब चार माह पहले इस मामले को लेकर एसडीएम कार्यालय के आरआई राहुल इवने और पटवारी लवप्रीत सोनी को बकायदा जानकारी दी गई थी, लेकिन इसके बाद भी इनके द्वारा इस कालोनाईजर के खिलाफ एसडीएम कार्यालय से कोई भी ठोस कार्रवाई नहीं हुई? जानकार बताते है कि भोले और उसके पाटनर्स उस दौरान एसडीएम कार्यालय में मंडराते हुए देखे गए थे और उसके बाद से पूरा मामला ही ठंडे बस्ते में चला गया! इस स्थिति को लेकर लोगों का कहना है कि इस तरह की कालोनियां बनती ही इसलिए है कि समय रहते जिम्मेदार कार्रवाई नहीं करते और बाद में वहां प्लॉट लेने वाले परेशान होते है?
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 27 फ़रवरी 2025