बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा। जनजातीय कार्य विभाग ने करीब 216 लाख की लागत से जो आश्रम शाला भवन बनाए जा रहे है, उनमें तकनीकी मापदंड ताक पर रखे गये है! इसके स्पष्ट प्रमाण उक्त निर्माणाधीन बिल्डिंग के सामान्य नजरिया आंकलन से ही सामने आ जाता है? यहां पर बिल्डिंग निर्माण में बोर के पानी से निर्माण कार्य किया गया, फिर भी ठेकेदार ने पर्याप्त क्यूृरिंग (तराई) करना जरूरी नहीं समझा? इसलिए अभी से इसका असर दीवारों पर दिखाई देता है? वहीं कॉलम, बीम में ठेकेदार को फट्टा (बोरा) लपेटकर तराई करनी चाहिए थी वह भी उसके द्वारा नहीं की गई है? यह स्थिति केवल खेड़ला में बन रहे आश्रम शाला भवन की ही नहीं है! बल्कि अन्य तीन आश्रम शाला भवन में भी यह सब हो रहा है? बताया जा रहा है कि उक्त चारों निर्माण कार्य एक ही ठेकेदार देख रहा है, भले ही अलग-अलग फर्म के नाम से टेंडर हो! इससे साफ नजर आता है कि जनजातीय कार्य विभाग में चल क्या रहा है? यहां पर जो रेत उपयोग की गई उसमें भी मिट्टी की मात्रा ज्यादा थी! वहीं सही साईज की गिट्टी उपयोग करने की जगह चीप गिट्टी का उपयोग किया गया, नियम के अनुसार एम-20 क्रांक्रीट का उपयोग किया जाना था जो यहां पर नहीं किया गया? यदि कायदे से क्यूब टेस्ट होता तो यह सब सच्चाई सामने आ जाती! जिस तरह से क्यूब टेस्ट कराया गया, उस पर भी गंभीर प्रश्र चिन्ह है? आरोप तो यह है कि लैब टेस्ट के मामले में केवल कागजी खानापूर्ति की गई ?

- सवालों से बचने के लिए एसी कॉल अटेंड नहीं करती...
जनजातीय कार्य विभाग की सहायक आयुक्त शिल्पा जैन को लेकर सर्वविदित है कि वे कार्यालयीन समय में भी फोन अटेंड नहीं करती है। लगभग 5 वर्ष से बैतूल में तैनात यह अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों और सवालों से बचने के लिए यह तरीका अपनाती है! वे विभाग के निर्माण कार्यो को लेकर ठेकेदारों को खुली छूट देती है ?
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 17 मार्च 2025