बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा। बैतूल जिले में कुल 168 अमृत सरोवर बनाए गए है। अमृत सरोवर बनाते समय भूमि आवंटन प्रक्रिया को ही ताक पर रख दिया गया था? अब इस मामले में अमृत सरोवर बनवाने में नेतृत्व करने वाले तीन जिला पंचायत सीईओ सहित आरईएस के अधिकारी उलझते हुए नजर आ रहे है? जो नियमों के जानकार है उनका दावा है कि जिला पंचायत सीईओ एमएल त्यागी, अभिलाष मिश्र और वर्तमान जिला पंचायत सीईओ अक्षत जैन के लिए यह अमृत सरोवर आफत बनेंगे! हाल ही में अक्षत जैन ने ही आरईएस के कार्यपालन यंत्री को आदेश बाद पत्र जारी किया जिसमें उन्होंने 6 दिसम्बर 2024 के पश्चिम वन मंडल के डीएफओ के पत्र का हवाला देते हुए बताया कि बैतूल जिले में वन भूमि में वन संरक्षण कानून 1980 के दायरे में आने वाली शासकीय भूमि पर बिना आवंटन और बिना अनुमति के अमृत सरोवर तालाब निर्माण किए गए है। इसलिए उन अमृत सरोवर तालाबों की अपने संभाग अंतर्गत समस्त विकासखंडों की एकजाई सूची तीन दिन के अंदर उपलब्ध कराए? आरईएस के ईई ने 24 दिसम्बर के जिला पंचायत के इस आदेश पत्र के बाद भी सूची उपलब्ध नहीं कराई तो उन्होंने पुन: 24 फरवरी 2025 को रिमांईडर भेजा और कहा कि सूची उपलब्ध ना होने के कारण वन मंडल पश्चिम के डीएफओ को जानकारी उपलब्ध नहीं कराई जा पा रही है। बताया गया कि इस संबंध में उच्च स्तर से भी जानकारी मांगी जा रही है कि बैतूल जिले में जो अमृत सरोवर बनाए गए है, उनमें भूमि आवंटन को लेकर क्या प्रक्रिया अपनाई गई है? माना जा रहा है कि अमृत सरोवर बनवाने वाले जिला पंचायत सीईओ और आरईएस के अधिकारियों ने अधिक से अधिक अमृत सरोवर बनाने के लिए यह भी नहीं देखा कि जिस जमीन पर बनाए जा रहे है वे वन भूमि की श्रेणी में तो नहीं आते है? इसलिए अब यह मामला जब उठ रहा है तो यह तय माना जा रहा है कि इससे अधिकारी परेशानी में आएंगे?

नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 14 अप्रैल 2025