बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा। जामठी भारत भारती में जिस ग्रीन वैली कालोनी में प्रशासन का एक्शन सामने आया है वह ग्रीन बेल्ट में डेव्हलप की जा रही थी। चूंकि उक्त भूमि ग्रीन बेल्ट के अंतर्गत आती है, इसलिए कालोनाईजर ने टीएनएसपी और विकास की अनुज्ञा नहीं ली! मामला उजागर हुआ तो लपेटे में आ गए? जबकि यह जानकारी उस क्षेत्र के पटवारी, आरआई को अच्छे से थी, वे मौन रहे इसलिए यहां पर एक दर्जन लोगों ने प्लॉट भी खरीद लिए। ग्रीन बेल्ट का यह चक्कर अलग-अलग हल्कों की कालोनियों में भी सामने आ रहा है। जो ताजा जानकारी सामने आ रही है, उसके अनुसार बडोरा और बटामा में करीब आधा दर्जन कालोनियोंं का यदि लैंड यूज चेक किया जाए तो यह कालोनियां ग्रीन बेल्ट में ही पाई जाएगी? इस क्षेत्र की जानकारी रखने वाले एक पूर्व पटवारी ने बताया कि फोरलेन पर करीब 10 एकड़ रकबे में जो कालोनी डेव्हलप की गई है वह ग्रीन बेल्ट पर ही है और इसे ग्रीन बेल्ट के चक्कर से बचाने के लिए पूर्व में प्रबंधन में लिया गया और मुक्त कर दिया गया? 10 एकड़ की इस कालोनी के पीछे भी दो ग्रीन बेल्ट वाले रकबे में भी यही स्थिति बताई जा रही है। इन तमाम तथ्यों से उस क्षेत्र के पटवारी अच्छे से वाकिफ है, लेकिन वे भी इस संबंध में किसी तरह की कोई रिपोर्टिंग उच्च अधिकारियों को नहीं कर रहे है। 

- क्या ग्रीन वैली वालों को कोर्ट जाने का मौका दे रहे है तहसीलदार साहब?
ग्रीन वैली कालोनी मामले में जारी आदेश पर कार्रवाई करने के लिए लिखित में तहसीलदार बैतूल को एसडीएम ने निर्देशित किया है, लेकिन अज्ञात कारणों से वे वहां के निर्माण पर ना तो बुलडोजर चला रहे है और ना ही एफआईआर के लिए थाने में प्रतिवेदन दे रहे है? कहा जा रहा है कि एक आरआई की मंशा के अनुरूप यह सब हो रहा है, ताकि इस आदेश के खिलफ कोर्ट जाने का मौका मिले! जैसा कि पूर्व में गौठाना क्षेत्र की एक कालोनी के मामले में भी देखने में आया। यहां पर कालोनाईजर को कोर्ट जाने का पूरा मौका दिया गया।
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 28 मई 2025