बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा।  साईंस हाउस जैसी प्रायवेट लैब को जिले में सरकारी अस्पतालों में होने वाली विभिन्न तरह की जांच की जिम्मेदारी ठेके पर दे दी गई है। विभिन्न तरह की पैथालॉजी जांच को जानने समझने वालों का कहना है कि यह सरकार के लिए महंगा सौदा है। जिला अस्पताल से ही हर महीने अलग-अलग तरह की डेढ़ हजार जांच में करीब 25 से 30 लाख रूपए का भुगतान साईंस हाउस को किया जाता है। इस साईंस हाउस का पेट भरने के लिए जिला अस्पताल में जो जांच की मशीने हैं उनका उपयोग भी बंद कर दिया गया। अब यह मशीनें धीरे-धीरे कबाड़ होते जा रही है। साईंस हाउस अकेले जिला अस्पताल नहीं बल्कि जिले के अन्य सरकारी अस्पताल की पैथालॉजी लैब की तमाम जांच की जिम्मेदारी दे रखी है? हालत यह है कि जिस जांच में पहले सरकारी अस्पताल में 25 से 30 पैसे का खर्चा आता था उसके लिए अब साईंस हाउस को एक रूपए का भुगतान किया जा रहा है?

- जिला अस्पताल में इस तरह की मशीने बंद हालत में हो रही कबाड़...
जिला अस्पताल की सरकारी पैथालॉजी लैब में बायो कैमेस्ट्री मशीन, सीबीसी जांच मशीन, एलआईवा जांच मशीन सहित अन्य छोटी-बड़ी मशीन और उपकरण बंद हालत में पड़ी हुई है और धीरे-धीरे कबाड़ बन रही है।

- सरकारी लैब टैक्नीशियन का उपयोग साईंस हाउस के लिए...
सरकारी अस्पताल में शासन के लैब टैक्नीशियन है, जो पहले जांच किया करते थे। अब जब पूरी जांच साईंस हाउस को चली गई  है तो इनका कहीं ना कहीं उपयोग उसके लिए किया जा रहा है। साईंस हाउस के मात्र 4 कर्मचारी है। 

- महंगा है साईंस हाउस की जांच...
जो जांच होती है यदि उनका आने वाला खर्च देखा जाए तो वह साईंस हाउस को होने वाले भुगतान के मुकाबले करीब 60 से 70 फीसदी कम है। मतलब यह है कि शसान का पैसा जबरन खर्च हो रहा है।
जिम्मेदार जानकार भी है मौन
यह खेल पूरे प्रदेश में उच्च स्तर पर है। जो सत्तापक्ष के जनप्रतिनिधि है वे इस खेल को जानते समझते है, लेकिन अज्ञात कारणों से इस संबंध में मुंह भी नहीं खोलते और इसलिए खेल तीन वर्ष से चल रहा है?
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 06 जून 2025