बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा। ओमप्रकाश भोले ने अवैध कालोनाईजिंग के साथ-साथ प्लॉटिंग में लोगों के साथ खुली धोखाधड़ी की है! उसने उसके रकबे की तमाम जमीन बेचने के बाद भी प्लॉट की रजिस्ट्रीयां करना जारी रखा? मतलब जितनी जमीन मौके पर उपलब्ध थी उससे ज्यादा की रजिस्ट्रीयां कर दी है? ऐसी स्थिति में जब लोग मौके पर प्लॉट ढूंढने जा रहे है तो उन्हें वहां प्लॉट ही नहीं मिल रहा है! यह सब इसलिए हो सका कि रजिस्ट्री के दौरान ओमप्रकाश भोले ने खसरा नंबर तो दर्ज कराया, लेकिन प्लॉट नंबर रजिस्ट्री में दर्ज नहीं किया। जब लोग नामांतरण कराने गए तो उन्हें समझ आया कि उनके साथ धोखाधड़ी हो गई है। इस पूरे मामले में राजस्व के मैदानी अमले से लेकर अधिकारी तक जिम्मेदार है। ओमप्रकाश भोले और उसके पार्टनर बडोरा में अवैध कालोनी काट रहे है यह जानकारी बैतूल एसडीएम और डायवर्सन आरआई को करीब साल भर से है, लेकिन उन्होंने समय रहते कदम नहीं उठाया। नतीजा यह है कि ओमप्रकाश भोले ने अपने कुल रकबे से ज्यादा के प्लॉट बेच दिए है औरअब लोग भटक रहे है। 

- दिलीप ने झांसा दिलाकर ओमप्रकाश से करवा दिया था 5 लाख 58 हजार में प्लॉट का सौदा...
ठानी निवासी जगदीश धोटे ने बताया कि उनके ही गांव के दिलीप पिता गेंदालाल पोटफोड़े ने उन्हें ओमप्रकाश भोले से मिलवाया था और उसके माध्यम से बडोरा में सौदा हुआ था। उसका यह सौदा 750 वर्गफुट प्लॉट का था, जिसके लिए रजिस्ट्री में 5 लाख 56 हजार रूपए दिए। 

- जिस प्लॉट पर रजिस्ट्री के लिए फोटो खिचवाई वह किसी और का था इसलिए नामांतरण नहीं...
जगदीश ने अपनी शिकायत में यह भी बताया कि जब उसने 21 सितम्बर 2023 को प्लॉट की रजिस्ट्री करा ली और नामांतरण नहीं हो रहा था तब ओमप्रकाश ने कहा कि गलत प्लॉट पर खड़े होकर फोटो खींच गई तुम्हे दूसरा प्लॉट दे दूंगा, लेकिन बाद में टाल मटोल करने लगा। 

- कालोनी पूरी तरह से अवैध फिर भी उसके खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया...
जगदीश का कहना है कि क्षेत्र के पटवारी से लेकर डायवर्सन आरआई और एसडीएम ने समय रहते इस कालोनी को प्रबंधन में नहीं लिया और एफआईआर नहीं की। मामले में जानबूझकर मौका दिया गया और उसी का नतीजा यह है कि उनके जैसे लोगों के साथ धोखाधड़ी हुई है।
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 21 जून 2025