बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा।  अवैध खनन, परिवहन और भंडारण पकडऩे के लिए आधुनिक संसाधनों का प्रयोग किया जा रहा है जो एआई आधारित बताया जा रहा है, लेकिन इन संसाधनों का जिस तरह से प्रारंभिक परिणाम सामने आया है उससे तो यही समझ आता है कि इस सिस्टम से खोदा पहाड़ और निकली चुहिया वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। इस सिस्टम से काम करने के लिए खनिज विभाग पर तमाम आला अधिकारियों का दबाव है, साथ ही आए दिन वीडियो कान्फ्रेसिंग में खनिज विभाग के पीएस से लेकर प्रदेश के मुख्य सचिव तक दिए गए पाईंट के आधार पर अपडेट रिपोर्ट मांगते है। बैतूल जिले को अवैध खनन के मामले में माईनिंग सेटेलाईट सिस्टम से 58 ट्रिगर मिले थे। जब इनकी जांच पड़ताल की गई तो सामने आया कि मात्र दो पाईंट ऐसे थे जो अवैध खनन की श्रेणी में आते है। उसमें से भी एक पाईंट ऐसा था जिसमें पूर्व में अवैध खनन का प्रकरण बन चुका है। वहीं दूसरा पाईंट एक क्रेशर के बगल में हुए खनन का था जिसमें खनिज विभाग ने केस बना दिया है। इस सेटेलाईट इमेज आधारित सिस्टम में यह सामने नहीं आता कि यह खनन कितना पुराना है और इसको लेकर पूर्व की क्या स्थिति है। 

- इस तरह से फेल हो गए ट्रिगर...
 1 - सेटेलाईट इमेज के आधार पर अवैध खनन की आशंका में चयनित की गई इमेज में यह सामने आया कि यह 10 वर्ष से भी अधिक पुरानी है। 
2 - इस तरह की भी इमेल आ गई जो किसी किसान या व्यक्ति द्वारा खुदवाए गए तालाब का गढ्डा था। 
3 - इस तरह की भी इमेज सामने आई जो कि स्वीकृत खनन क्षेत्र के अंतर्गत है। 
4 - इसमें रेत खनन से ज्यादा पत्थर और मिट्टी, मुरम खनन के गढ्डों की इमेज ज्यादा सामने आई है। 
5 - बैतूल में 58 ट्रिगर की मौके पर जाकर जब जांच की गई तो अधिकांश अवैध खनन कार्रवाई के दायरे से बाहर थे। 

- जांच भी आफत से कम नहीं...
 एमएसएस से ऑनलाईन मिली इमेज की मौके पर जांच करने के बाद जांचकर्ता को जो लाल घेरा कथित खनन क्षेत्र में नजर आता है, वहीं मौके पर जाकर जीपीएस फोटो और वीडियो लेकर उस ऑनलाईन सिस्टम में नजर आ रहे लाल घेरे में ही डाउनलोड करनी पड़ती है।
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 24 जून 2025