(लखनऊ) श्रीशंकर चैतन्य ब्रह्मचारी का हुआ पट्टाभिषेक, नौदिवसीय महायज्ञ और भागवत कथा का अनूठा कार्यक्रम

- महाकालेश्वर गुरुकुल लालकुआं में शतचंडी महायज्ञ सम्पन्न
लखनऊ । नौदिवसीय शतचंडी महायज्ञ और श्रीमद् भागवत कथा की पूर्णाहुति पर आज लाल कुआं स्थित महाकालेश्वर गुरुकुल प्रांगण में श्रीशंकर चैतन्य ब्रह्मचारी का विधिवत पट्टाभिषेक किया गया। तपोभूमि गुरुकुल वैदिक संस्कृत महाविद्यालय एवं तपोभूमि गौशाला के संस्थापक प्रमुख दंडी स्वामी श्री देवेंद्रानंद सरस्वती जी महाराज ने आज अपने युवा शिष्य श्रीशंकर चैतन्य ब्रह्मचारी को पांच आश्रमों वाली अपनी धार्मिक संस्था का विधिवत उत्तरदायित्व सौंपा। उल्लेखनीय है, स्वामी देवेंद्रानंद सरस्वती धर्म सम्राट स्वामिश्री करपात्रीजी महाराज की परंपरा के वरिष्ठ शिष्य हैं। ज्ञातव्य हो, श्री स्वामीजी द्वारा लालकुआं लखनऊ में स्थापित महाकालेश्वर मन्दिर आश्रम के अलावा बंथरा कानपुर रोड पर तपोभूमि गुरुकुल वैदिक संस्कृत महाविद्यालय, बिठूर कानपुर में परमात्म धाम आश्रम, फतेहपुर में शक्ति धाम आश्रम त्रिलोचनपुर इत्यादि केन्द्र सनातन संस्कृति के विस्तार तथा शिक्षण एवं गौसंवर्धन की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं।
लखनऊ विश्वविद्यालय में प्राच्य भाषा विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉक्टर श्यामलेश के वेद मंत्रोच्चार के बीच संस्थाध्यक्ष स्वामिश्री देवेंद्रानन्द सरस्वती जी महाराज ने शंकर चैतन्य ब्रह्मचारी का शंख-जल अभिषेक किया। उन पलों में समूचा मन्दिर प्रांगण श्रद्धालुओं की तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। इस अवसर पर तपोभूमि गुरुकुल के प्राचार्य डॉक्टर सप्तर्षि मिश्र, ट्रस्ट मण्डल प्रमुख कमल बाजपेई, ट्रस्टी ब्रह्म कुमार शुक्ल, अम्बरीष अग्रवाल, आचार्य रमाशंकर तिवारी, आचार्य सुधीर दीक्षित, आचार्य राहुल दीक्षित, नीरज त्यागी, कमल पाण्डेय आदि उपस्थित रहे।
महायज्ञ की पूर्णाहुति के मौके पर भाग्योदय फाउंडेशन के अध्यक्ष एवं संस्थापक आचार्य राम महेश मिश्र ने भारत के तपस्वी संतों की चर्चा की और स्वामी देवेंद्रानंद सरस्वती को अद्भुत संतपुरुष बताया। उन्होंने बीती शताब्दी के सातवें दशक से अब तक की प्रगति यात्रा की चर्चा की और तपोभूमि गुरुकुल तथा तपोभूमि गौशाला के उज्ज्वल भविष्य की कामना की। अखिल भारतवर्षीय धर्मसंघ के राष्ट्रीय संयोजक डॉ. सप्तर्षि मिश्र ने इस अवसर पर यज्ञ की महत्व बताई और कहा कि भारत भूमि यज्ञ भूमि है, जहां मृग स्वच्छंद विचरण करते हों और जहां प्रचुर संख्या में शमी के वृक्ष हों, ऐसी भूमि यज्ञ भूमि कहलाती है। प्रदेश के विभिन्न जनपदों से आए श्रद्धालुओं एवं शिष्यों को दंडी स्वामी देवेंद्रानंद सरस्वती जी महाराज ने आशीर्वाद प्रदान किया।
नवमनोनीत संस्था प्रमुख श्रीशंकर चैतन्य ब्रह्मचारी ने शतचंडी महायज्ञ एवं भागवत कथा में आए सभी श्रद्धालुओं के प्रति आभार व्यक्त किया तथा सनातन गुरु-परंपरा को श्रद्धापूर्वक नमन वंदन किया।