(बैतूल) बारिश में कीचड़ और गर्मी में उड़ती धूल बैतूल शहर की सडक़ों की बन चुकी है स्थाई पहचान , - सडक़ और उसके किनारे से धूल हटाने के लिए नहीं है कोई इंतजाम

बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा।
यदि गर्मी के दिनों में उड़ती हुई धूल का सामना हो रहा है या फिर बारिश के सीजन में कीचड़ वाली फिसलन सडक़ पर नजर आ रही है तो आप समझ जाईए कि आप बैतूल में हो। इसके अलावा ठंड के दिनों में हर चौराहे पर बैठे हुए मवेशी भी बैतूल की पहचान में शामिल हो चुके है। गर्मी के दिनों में तो हालत यह रहती है कि यदि आप किसी भी मुख्य सडक़ के किनारे 20 मिनट के लिए भी वाहन खड़ा कर दे तो उस पर धूल की मोटी परत जमने लगती है। यही धूल बारिश में कीचड़ बनकर सडक़ के किनारे से सडक़ तक फैलती है। वैसा देखा जाए तो शहर में हर सडक़ पिछले तीन वर्ष में करीब तीन बार बन चुकी है, लेकिन इसके बाद भी इन सडक़ों पर गढ्डे उग जाते है और बाद में इन गढ्डों में सुबह और रात के समय लगने वाली झाडू धूल जमा करती है। जब गर्मी में हल्की हवा भी चलती है या तेज रफ्तार वाहन गुजरते है तो यह धूल उडऩे लगती है। इसी तरह बारिश के पानी में इसी धूल की वजह से कीचड़ फैलती है। नगरपालिका के सफाईकर्मी झाडू जरूर लगाते है मगर धूल को सडक़ के किनारे ही छोड़ देते है और नगरपालिका इस धूल को कभी उठवाती नहीं है। इसका नमूना कारगिल चौक पर अंबेडकर चौक के मध्य अस्पताल के किनारे बनी बाउंड्रीवाल के समीप देखा जा सकता है।
- बैतूल में सबसे ज्यादा दमे की शिकायत...
बैतूल में ईएनटी रहे डॉ. पीके कुमरा ने करीब 8 साल पहले रेडियो पर एक प्रोग्राम के दौरान यह बताया था कि बैतूल में दमे के सबसे ज्यादा मरीज है और यहां जो कंडीशन है जो लोगों को दमे का मरीज बनाती है। उन्होंने इसके तीन कारण गिनाए थे पहला बैतूल की जलवायु में नमी होना और दूसरा सागौन के पेड़ होना और तीसरा बैतूल में बहुतायत में धूल का होना बताया था।
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 08 जुलाई 2025