(बैतूल) पहले पवन गढ़ेकर पर एफआईआर और अब हरीश गढ़ेकर की जांच के मामले को दबाने में लगा सिस्टम , - पूर्व एसडीएम राजीव कहार मौखिक रूप से कार्रवाई के दावे करते रहे लेकिन किया कुछ भी नहीं

बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा। पवन गढ़ेकर पर अवैध कालोनाईजिंग सहित सरकारी जमीन बेचने के मामले में कलेक्टर शशांक मिश्रा के कार्यकाल में एफआईआर के आदेश हुए थे, लेकिन अभी तक इस मामले में एफआईआर तो दूर की बात है उस आदेश को ही दफन कर दिया गया है! वहीं दूसरी ओर पवन गढ़ेकर के भाई जो राजस्व विभाग में आरआई रह चुके है? उनको लेकर भी गंभीर शिकायतें है और इन शिकायतों को लेकर जांच की प्रक्रिया ही आगे नहीं बढ़ाई जा रही? आरोप तो यह लगता है कि पवन गढ़ेकर के नाम पर जो भी कालोनाईजिंग का काम है उसमें अघोषित रूप से भूमिका हरीश गढ़ेकर की ही रही है? यही कारण है कि पवन गढ़ेकर पर जब एफआईआर के आदेश हुए थे, तब बैतूल अनुविभाग में हल्का पटवारी से लेकर तात्कालीन तहसीलदार और एसडीएम तक इस आदेश के परिपालन को लेकर इच्छुक नजर नहीं आ रहे थे। जैसे ही शशांक मिश्रा का तबादला हुआ वैसे ही इस आदेश को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया! आरोप तो यह भी लग रहे है कि हरीश गढ़ेकर स्वयं के नाम पर नहीं बल्कि अपने भाई और अन्य परिजन के नाम पर कालोनाईजिंग में अघोषित रूप से सक्रिय रहे है और इस स्थिति को लेकर भी जनसुनवाई और अन्य फोरम पर शिकायतें भी हुई है? जो वर्तमान एसडीएम मसूद अहमद है, जब यह बतौर संयुक्त कलेक्टर जनसुनवाई में मौजूद रहते थे तब इन्होंने ही कुछ शिकायतें बैतूल एसडीएम को जांच एवं कार्रवाई के लिए भेजी थी, लेकिन तात्कालीन एसडीएम राजीव कहार ने मौखिक रूप से तो इन शिकायतों को लेकर एक्शन के बड़े-बड़े दावे किए, लेकिन हकीकत में जांच तक नहीं कराई! इससे स्पष्ट नजर आता है कि बैतूल अनुविभाग में लंबे समय तक तैनात रहने के कारण राजस्व अधिकारी और कर्मचारियों का गढ़ेकर ब्रदर्स के लिए कहीं ना कहीं साफ्ट कार्नर है? वैसे यह साफ्ट कार्नर प्रशासनिक सिस्टम में यू ही मुफ्त नहीं होता है।
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 26 जुलाई 2025