(बैतूल) कन्या क्रीड़ा परिसर में अधीक्षक की नियुक्ति ही नियम विरूद्ध , - जिसको अधीक्षक बनाया उसके पास उसकी पात्रता है ही नहीं

बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा। बैतूल जिले में आदिम जाति कल्याण विभाग जिसे अब जनजाति कार्य विभाग भी कहा जाता है वहां तमाम नियम कायदे और आदेश निर्देश कोई मायने नहीं रखते है, विशेषकर हॉस्टल और क्रीड़ा परिसर में तैनाती के मामले में तमाम नियमों को ताक पर रख दिया जाता है। ऐसा ही मामला बैतूल हमलापुर में स्थित कन्या क्रीड़ा परिसर का है। यहां पर जिन्हें अधीक्षिका का चार्ज दिया गया है वे किसी भी तरह के खेल के लिए प्रशिक्षित नहीं है। वहीं वे वर्ग-3 की शिक्षक श्रेणी में आती है। जबकि अधीक्षिका बनने के लिए कम से कम माध्यमिक स्तर का शिक्षक होना जरूरी है। इसके अलावा यह आदिवासी वर्ग का हॉस्टल है, इस लिहाज से भी उनकी नियुक्ति इस हॉस्टल में नहीं हो सकती है? बताया जा रहा है कि राजनैतिक दबाव और सिस्टम के सेवा फार्मूले में इस तरह की नियुक्तियां हो रही है।
- आयुक्त का यह आदेश ही क्रीड़ा परिसर में दरकिनार...
आयुक्त आदिवासी विकास ने 9 फरवरी 2021 को एक स्पष्ट आदेश दिया था कि क्रीड़ा परिसर संचालन के लिए जो दिशा निर्देश जारी किए गए है उसमें बिंदु क्रमांक 6 में स्पष्ट है कि क्रीड़ा परिसर में वरिष्ठ पीटीआई को ही अधीक्षक का प्रभार दिया जाना सुनिश्चित किया जाए, लेकिन देखने में यह आ रहा है कि ऐसा नहीं किया जा रहा है। इसलिए जहां पीटीआई अधीक्षक नहीं है उन्हें कार्यमुक्त कर पीटीआई को ही अधीक्षक के रूप में प्रभार दिया जाना चाहिए।
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 26 जुलाई 2025