(बैतूल) व्हाईट टॉप के लेअर बेस में जीएसएम या डब्ल्यूएमएम परत की लेबलिंग और काम्पेक्सन ही नहीं किया गया , - तकनीकी मापदंड के अनुरूप सडक़ नहीं बनने से उसका भविष्य अभी से नजर आ रहा है खराब

बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा। शहर में जब व्हाईट टॉप रोड बनना शुरू हुई थी उसके पहले जहां बननी थी वहां पर पुरानी डामर सडक़ को खोदकर अलग कर दिया गया। इसके बाद बजरी बिछा दी गई। इसके बाद जब बारिश हुई तो जो व्हाईट टॉप सडक़ का इस तरह का अर्थ वर्क था उसकी पोल खुल गई। दरअसल इस तरह की सडक़ में जिस तरह से बेस लेअर का काम होना चाहिए वह यहां पर किया ही नहीं किया गया और इसलिए जहां-जहां पर वर्तमान में व्हाईट टॉप सडक़ बना दी गई वह धंसती हुई अलग ही नजर आती है। हालांकि अभी शुरूआती दौर है और ट्रैफिक उतना उस पर अभी चल नहीं रहा है। इसलिए पूरी तरह से धंसी नहीं है, लेकिन बारीक नजर से देखने में यह दिखाई देती है। सिविल इंजीनियर अभय सिंह चौहान का कहना है कि किसी भी सडक़ के लिए सडक़ के अच्छे भविष्य के लिए उसका बेस लेअर बेहतर होना जरूरी है। उन्होंने बताया कि व्हाईट टॉप में अभी तक जो निर्माण हुआ है उसमें बेस लेअर में बहुत सी तकनीकी खामियां है जैसे निर्माण से पहले जीएसएम मतलब ग्रेनुलर सब बेस या वेट मिक्स मेकाडम मतलब डब्ल्यूएमएम की परत को मानक के अनुसार लेबल नहीं किया गया और ना ही काम्पेक्सन किया गया। बिना पर्याप्त काम्पलेक्सन के क्रांकीट का लोड ट्रांसफर असामान्य हो रहा है। जिससे सडक़ जगह जगह से धंसी हुई नजर आने लगी है।
- इनका कहना...
चूंकि सामान्य व्यक्ति या जनप्रतिनिधियों को निर्माण के तकनीकी मापदंड पता नहीं रहते इसका पूरा फायदा अधिकारी और ठेकेदार उठा रहे है। इस सडक़ के मामले में भी यही सब हो रहा है। इसलिए यह सडक़ भी लंबी नहीं टिकेगी।
देवेश दुबे, व्यवसायी, बैतूल।
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 04 अगस्त 2025