बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा । चांदू सहकारी समिति के प्रबंधक ने कैसे-कैसे कर्मकांड किए है इसका खुलासा सहकारिता विभाग के ऑडिटर की रिपोर्ट से होता है। ऑडिटर ने अपनी रिपोर्ट में जो सिफारिश की थी उसका भी कभी अनुपालन हरिराम ने नहीं किया! आरटीआई से निकाली गई ऑडिट रिपोर्ट से जो सामने आया है कि जो डिफाल्टर है उनसे ऋण वसूली और रिकार्ड दुरूस्त रखने को लेकर भी हरिराम ने कोई प्रयास नहीं किए है? नतीजा यह रहा कि सोसायटी का बड़ी मात्रा में हमेशा डूबत में रहा! हरिराम की अपनी एक पॉलिसी है जो सहकारिता के नियम कायदों के ऊपर है? यही कारण है कि धारा 84 और धारा 85 को लेकर भी हरिराम ने कोई प्रयास नहीं किए है? यह बात हम ऐसे ही नहीं कह रहे है, बल्कि ऑडिटर की 2014-15 की रिपोर्ट से सामने आया है। यदि इस ऑडिट रिपोर्ट को गंभीरता से लिया जाता और इसे दबाया नहीं जाता तो आज हरिराम जेल की हवा खा रहा होता।

- डिफाल्टर कर्जदार और उनसे ऋण वसूली को लेकर छुपाई जानकारी...
वर्ष 2014-15 की ऑडिट रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है कि डिफाल्टर और थकित कर्ज को लेकर चांदू समिति में किसी स्तर पर कोई काम नहीं किया? ऑडिटर ने स्पष्ट शब्दों में लिखा है कि कालातित की सूची तैयार कर अधिकृत जानकारी ही ऑडिटर को उपलब्ध नहीं कराई गई है! उनके विरूद्ध वसूली के लिए क्या प्रयास किए गए है यह भी बताना जरूरी नहीं समझा गया और न ही इस संबंध में कोई रिपोर्ट दी गई।

- थकित कर्जदारों पर धारा 84 में प्रकरण दर्ज न कर किया आर्थिक अपराध...
इस ऑडिट रिपोर्ट से ही यह भी खुलासा हुआ कि जो थकित कर्जदार है उनसे ऋण वसूली को लेकर मप्र सहकारिता अधिनियम की धारा 84 के तहत प्रकरण दर्ज नहीं किए गए? प्रकरण दर्ज न करना ही संस्था के हितों को नुकसान पहुंचाना है और यह अपने आप में एक आर्थिक अपराध माना जाता है! ऑडिटर ने अपनी रिपोर्ट में कड़े शब्दों में उल्लेख किया है और सिफारिश की है कि तत्काल प्रकरण बनाए जाए।

- धारा 85 को लेकर भी ऑडिटर ने प्रबंधक को लगाई थी लताड़...
वर्ष 2014-15 की ऑडिट रिपोर्ट में धारा 85 के तहत होने वाली कार्रवाई में भी गोलमाल पाया गया है। ऑडिटर ने स्पष्ट लिखा है कि संस्था के धारा 85 के प्रकरणों की जानकारी संस्था में उपलब्ध नहीं पाई गई। जिससे यह ज्ञात नहीं हो रहा कि 85 के प्रकरण है भी अथवा नहीं है। यदि है तो किस स्थिति में है और किन-किन सदस्यों के विरूद्ध है। ऐसी स्थिति में संस्था की कर्ज वसूली संतोषप्रद नहीं है यह स्पष्ट दिखता है।

- और इधर धोखे से अंगूठा लगाने के खेल के सबूत भी आ गए हैं सामने...
चांदू सेक्टर की सहकारिता समितियों में जो गरीबों को राशन बांटा जाता है उसमें भी बड़ा गोलमाल है? आरोप यह है कि महीने के आखरी दिन में राशन बांटा जाता है जिससे ज्यादातर लोग राशन नहीं उठा पाते है! फिर लोगों से धोखे से रजिस्टर एवम पीओएस मशीन पर अंगूठे लगवा लिए जाते है? जिन लोगों के साथ इस तरह से धोखाधड़ी हुई है? उन लोगों द्वारा राष्ट्रीय दिव्य दुनिया को इस संबंध में कुछ प्रमाण भी उपलब्ध कराए गए है, यह अपने आप में एक संगीन मामला है! जिसका भी अतिशीघ्र खुलासा होगा?
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल, 01 फ़रवरी 2023