मुंबई। पिछले साल शिवसेना में बगावत के बाद अब एनसीपी में भी बगावत हो गई है. एनसीपी सुप्रीमो और संस्थापक शरद पवार ने जब से पार्टी संगठन में फेरबदल किया है, तब से उनके भतीजे अजित पवार की नाराजगी की खबरें आ रही थी. आख़िरकार रविवार को अजित पवार ने अलग राह पकड़ ली. दिलचस्प बात यह है कि जब पिछले साल एकनाथ शिंदे ने शिवसेना से बगावत की थी तब अजित पवार ने उनकी सराहना की थी. इसके बाद कई बार ऐसे मौके आए जब अजित पवार की नाराजगी सामने आई लेकिन अजित पवार की इस नाराजगी का अल्टीमेटम देने के बाद भी शरद पवार अपने भतीजे की मन की बात या तो समझ ही नहीं पाए या फिर अनसुना कर दिया. दरअसल, यह दूसरी बार है जब अजित पवार ने अलग राह पकड़ी है. जिस तरह से पार्टी में विभाजन हुआ है, उससे यह विद्रोह झलकता है. अजित पवार पिछली बार भी कई विधायकों को अपने साथ ले गए थे. उस वक्त अजित पवार और विधायकों को वापस लाने के लिए शरद पवार को काफी मशक्कत करनी पड़ी थी. काफी मशक्कत के बाद गुरुग्राम गए विधायक पार्टी में लौट आए हैं. लेकिन अब देखना होगा कि शरद पवार इस चुनौती से कैसे निपटते हैं.
जिस तरह से 18 विधायक अजित पवार के साथ राजभवन पहुंचे उससे पता चलता है कि एनसीपी में सब कुछ ठीक नहीं है. लेकिन अब सवाल उठता है कि अगर एनसीपी में बगावत हो गई तो महाविकास अघाड़ी का क्या होगा? ये भी एक बड़ा सवाल है. अब महा विकास अघाड़ी सरकार में केवल शरद पवार की एनसीपी और कांग्रेस और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ही बचे हैं। जिस तरह से एकनाथ शिंदे ने पूरी शिवसेना को अपने साथ लिया और एक और बड़ी पार्टी बनाई. शरद पवार को भी ऐसी ही चुनौती का सामना करना पड़ेगा. भाजपा नेता तथा महाराष्ट्र के मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने दावा किया है कि एनसीपी के 40 से ज्यादा विधायक सरकार के साथ हैं. अगर ऐसा है तो क्या एनसीपी की हालत भी शिवसेना जैसी हो जाएगी? व
एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार हाल ही में पटना में विपक्षी एकता की बैठक में पहुंचे थे. इसमें उनके साथ उनकी बेटी सांसद सुप्रिया सुले भी गई थीं. विपक्षी एकता की कवायद और मोदी के खिलाफ मोर्चा बनाने की कोशिशें जारी थी इस बीच अजित पवार ने एनसीपी पार्टी को ही तोड़ दिया है. इसलिए आने वाले लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में 48 लोकसभा सीटों पर भी इसका परिणाम जरूर पड़ेगा.