बैतूल(हेडलाइन )/ नवल वर्मा। ग्राम पंचायत गोराखार के सरपंच महेश रावत के नए-नए कारनामे सामने आ रहे है और दस्तावेज प्रमाणीकरण के साथ सामने आ रहे है। हैरतअंगेज बात यह है कि इस स्तर पर फर्जीवाड़ा करने के बाद भी सरपंच महेश रावत के खिलाफ आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। 
जो अनुसंधान से सामने आ रहा है, उसके अनुसार समग्र आईडी ही नहीं बल्कि राशन कार्ड बनाने के मामले में भी फर्जीवाड़ा किया है। इस फर्जीवाड़े से यह दिखाई देता है कि जब वे राशन कार्ड के अनुसार वर्ष 2005 में बैतूल नगरपालिका क्षेत्र के निवासी तब उन्होंने ग्राम पंचायत में चुनाव लड़ा जो कि नियम अनुसार संभव नहीं है जो फर्जीवाड़े की श्रेणी में आता है और इस मामले में एफआईआर होना चाहिए। यह बात इस तरह से सिद्ध होती है कि 27 अगस्त 2015 में जो ग्राम पंचायत गोराखार से इनका राशन कार्ड बना था जिसका नंबर 1885 जिसमें महेश रावत की उम्र 48 वर्ष बताई थी। वहीं बैतूल नगरपालिका से जो राशन कार्ड बना है और आरटीआई में जो इस राशन कार्ड से संबंधित दस्तावेज दिया गया है, उसके अनुसार उस राशन कार्ड क्रमांक 01559 में उनकी उम्र 38 वर्ष है, चूंकि जो नगरपालिका से संबंधित प्रमाणित दस्तावेज दिया गया है , उसमें राशन कार्ड निर्माण की तारीख नहीं दी गई है।


 इसलिए महेश रावत की उम्र के आधार पर यह आंकलन किया जा सकता है कि जब वर्ष 2015 में ग्राम पंचायत के राशन कार्ड में उनकी उम्र 48 वर्ष है तो बैतूल नगरपालिका के जिस राशन कार्ड में उनकी उम्र 38 वर्ष है तो स्वाभाविक है कि वह राशन कार्ड 10 वर्ष पहले 2005 में बना होगा। 2005 में महेश रावत ने गोराखार पंचायत से सरपंच का चुनाव लड़ा था और वे सरपंच चुने भी गए थे। इस लिहाज से जब वे बैतूल नगरपालिका क्षेत्र के निवासी थे, तब उन्होंने नियम विरूद्ध तरीके से ग्राम पंचायत में सरपंच का चुनाव लड़ा था। सबसे बड़ी बात यह है कि उन्होंने शहर और ग्राम में दो-दो राशन कार्ड शहर और गांव के लंबे समय तक संचालित रखे। जो कि एक तरह से अपराध की श्रेणी में आता है। कायदे से इसमें एफआईआर होना चाहिए।
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 29 अप्रैल 2024