गरीबों की लाइफलाइन कही जाने वाली मनरेगा योजना में छत्तीसगढ़ में अनियमितता मिली है। इसके चलते कुछ कर्मचारियों पर कार्रवाई भी की गई है। छत्तीसगढ़ के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टी एस सिंह देव ने सोमवार को राज्य में मरवाही वन संभाग में मनरेगा के तहत चलने वाले कामों में वित्तीय अनियमितता के आरोप में 15 कर्मचारियों को निलंबित करने की घोषणा की।छत्तीसगढ़ विधानसभा में कांग्रेस विधायक गुलाब कामरो ने आरोप लगाया था कि गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के मरवाही वन प्रभाग में मनरेगा के तहत पुलिया और स्टॉप डैम के निर्माण में घोर अनियमितता की गई है क्या इस पर कोई कार्रवाई होगी। इसके बाद मंत्री ने 15 कर्मचारियों को निलंबित करने बात कही।

चुक्तिपानी, थडपाथरा, पकरिया, क्योंची, पड़वानिया और तराईगांव गांवों में 33 निर्माण कार्यों के लिए सामग्री के लिए छह करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि निर्माण किए बिना ही गायब हो गई। इसके जवाब में मंत्री ने कहा कि पिछले साल जुलाई में इस संबंध में शिकायतें प्राप्त हुई थीं, जिसके बाद संबंधित जिला कलेक्टर ने मामले की समीक्षा की और उनकी रिपोर्ट के आधार पर आगे की जांच के लिए चार सदस्यीय जांच समिति का गठन किया गया था।आगे विधानसभा में टीएस देव ने कहा कि जांच समिति ने 33 कार्यों की जांच की और मनरेगा के नियमों और दिशानिर्देशों के उल्लंघन के मामले का पता चला। इसके बाद जिला कलेक्टर से इस बारे में बात की गई और कलेक्टर ने भी तत्कालीन संभागीय वन अधिकारी को जांच में गड़बड़ पाया था।इसके बाद, भाजपा सहित विपक्षी सदस्यों ने मांग की कि मंत्री अनियमितताओं के लिए दोषी पाए जाने वालों के निलंबन की घोषणा करें। इसके बाद मंत्री ने 14 वन अधिकारियों और कर्मचारियों और तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ को निलंबित करने की घोषणा की।