राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में 89 करोड़ का निर्माण घोटाला
करोड़ों रुपए में होती हैं नियुक्तियां
भोपाल । मध्य प्रदेश का राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय आर्थिक गड़बड़ियों के मामले में सारे देश में झंडा गाड़ा है। 2008-09 से लेकर वर्ष 2023 24 तक 88.78 करोड रुपए का निर्माण कार्यों के लिए भुगतान का हिसाब नहीं मिल रहा है। कुछ दिनो पहले ही 7 करोड रुपए की आर्थिक अनियमियता स्पोर्ट्स कांप्लेक्स के निर्माण में सामने आई थी।
विश्वविद्यालय में निर्माण कार्य राजधानी परियोजना द्वारा कराए जाते हैं। 2008-09 से लेकर वर्ष 2023 24 तक 290.12 करोड रुपए का निर्माण कार्यों में भुगतान किया गया। विश्वविद्यालय में 201.33 करोड रुपए का हिसाब किताब मिला है। 88.78 करोड रुपए का हिसाब किताब जांच के बाद अभी भी नहीं मिल पा रहा है। कुलपति ने रजिस्ट्रार से सभी दस्तावेज तलब किए हैं।
करोडों और लाखों रुपए में होती है नियुक्ति
विश्वविद्यालय में कुलपति और रजिस्टर के लिए करोड़ और लाखों रुपए की रिश्वत लिए जाने के बाद नियुक्ति की जाती है। इस तरह के आरोप पिछले कई वर्षों से लगते रहे हैं। कुलपति और रजिस्टर मिलकर विश्वविद्यालय पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और घपले घोटाले कर रहे हैं। राजनीतिक संरक्षण में नियुक्तियां हो रही हैं। जिसके कारण गड़बड़ियां उजागर होने के बाद भी दोषी अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होती है। जाँच के नाम पर मामले को दबा दिया जाता है। इसके पहले राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में करोड़ों रुपए का एफडी घोटाला सामने आ चुका है। किसी भी जिम्मेदार के ऊपर कार्रवाई नहीं होने के कारण बंदरबाँट अभी भी खुलेआम जारी है। राजनीतिक और प्रशासनिक संरक्षण होने के कारण दोषी अधिकारियों को दंडित नहीं किया जा सका है। जिसके कारण भ्रष्टाचार और आर्थिक गड़बड़ियों को रोक पाना किसी के बस की बात नहीं रह गई है।