भोपाल ।   लोकसभा चुनाव 2024 से पहले राष्ट्रीय राजनीति के अलावा राज्यों की सियासत भी चर्चा में है। मध्य प्रदेश में दल-बदल की आड़ में जीतू पटवारी को फेल करने की रणनीति बनाए जाने की कयासबाजी के बीच, कांग्रेस के छोटे-बड़े नेताओं के मुंह फेरने की खबरें भी सामने आ रही हैं। खबरों के मुताबिक पटवारी को बुजुर्ग-युवा नेता अपना 'बॉस' स्वीकार नहीं कर रहे हैं। कांग्रेस में मची भगदड़ से चिंतित पार्टी आलाकमान ने कांग्रेस की वर्तमान स्थिति पर जीतू पटवारी से रिपोर्ट मांगी है। एमपी की सियासत को समझने वाले लोगों का मानना है कि कांग्रेस की आंतरिक गुटबाजी के कारण चुनाव खत्म होने के तीन माह बाद भी पटवारी अपनी टीम बनाने में असफल रहे हैं।

दरअसल, देश में लोकसभा चुनाव 2024 की तारीखों का ऐलान हो गया है। राजनीतिक दल जोर शोर के साथ तैयारी में जुट गए है। लेकिन इन दिनों मध्य प्रदेश में सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी यानी कांग्रेस एक बड़ी चुनौती से जूझ रही है। जैसे-जैसे मतदान के दिन करीब आते जा रहे है, वैसे एक के बाद एक नेता कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो रहे है। प्रदेश में कांग्रेस छोड़ने वाली संख्या हजारों में पहुंच चुकी है। इससे पार्टी में जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं में हाहाकार मचा हुआ है। कांग्रेस में मची भगदड़ से हाई कमान की चिंता बढ़ गई है। अब नेताओं के पार्टी छोड़ने से कमजोर होती कांग्रेस को लेकर आलाकमान सख्त नजर आ रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पार्टी हाईकमान ने एमपी कांग्रेस के नेताओं से पार्टी छोड़ने की रिपोर्ट प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी से मांगी है। हाईकमान के लिए सबसे बड़ा सवाल यह है कि कांग्रेस के नेता आखिर नाराज क्यों हैं? एक के बाद एक नेता पार्टी क्यों छोड़ रहे हैं। हाईकमान ने प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी से सख्त लहजे मे पुछा है कि, जोड़ने की जगह पार्टी में टूट का कारण क्या है? दरअसल, कांग्रेस के लिए चिंता की बात इसलिए भी ज्यादा है, क्योंकि कांग्रेस से बीजेपी की तरफ जाने वालों की इस दौड़ में पार्टी के बड़े नेता तो टूट ही रहे हैं, उनके साथ पार्टी संगठन की रीढ़ कहे जाने वाले ब्लॉक स्तर से लेकर जिला और विधानसभा स्तर तक के कार्यकर्ता भी पार्टी छोड़ रहे हैं। पिछले दिनों पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी अपने दर्जन भर समर्थकों के साथ बीजेपी में शामिल हुए तो वहीं 19 मार्च को ही कमलनाथ के बेहद करीबी माने जाने वाले कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता सैयद जफर ने भी बीजेपी की सदयता ले ली। प्रदेश में हो रही दलबदल की राजनीति पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी का कहना है कि, पार्टी में अनुशासनहिनता के चलते जिन लोगों को हमने बाहर निकाल दिया था। वहीं लोग अब भाजपा में जा रहे है। उनको हमने ही बाहर निकाला और हम ही लें, ये तो नहीं कर सकते हम। अन्य नेता जो कांग्रेस छोड़कर जा रहे है वह अपनी लालच और डर की वजह से पार्टी छोड़ रहे है।

इसलिए नाराज है बुजुर्ग और युवा नेता

नाम न छापने के अनुरोध पर एक पूर्व कांग्रेस सांसद ने अमर उजाला से कहा कि, विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली हार के बाद कांग्रेस नेतृत्व ने कमलनाथ को हटाकर राहुल गांधी के करीबी पूर्व मंत्री जीतू पटवारी को कमान सौंप दी। वहीं विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी भी युवा नेता उमंग सिंगार को सौंप दी। पार्टी ने दोनों युवाओं को जिम्मेदारी यह सोचकर सौंपी है कि ये दोनों नेता वरिष्ठ और युवा नेताओं के बीच समन्वय स्थापित कर पार्टी को पुनर्जीवित करेंगे किंतु उनके अध्यक्ष बनने के बाद से ही पार्टी नेताओं में अजीब सी बेचैनी दिख रही है। वरिष्ठ उन्हें अपना नेता मानने को तैयार नहीं हैं। वे आज भी पार्टी के अंदर अपना वर्चस्व बनाए रखना चाहते। यहीं नहीं वे अपने समर्थकों को आगे बढ़ाने में लगे है। भले ही उनके समर्थक चुनाव में जीतने के क्षमता न रखते हो।

पूर्व कांग्रेस सांसद कहते है कि, इसके अलावा एक दिक्कत यह भी है कि पटवारी और सिंगार के समकक्ष युवा नेता भी इन दोनों को अपने बॉस के रुप में स्वीकार नहीं कर पा रहे है। इससे पार्टी में लगातार दुविधा बढ़ रही है। बड़े नेता नाराज होकर पार्टी छोड़ रहे है। जबकि चुनाव के दौरान युवा नेता निष्क्रिय होकर घर पर बैठे है। इन दिनों जो कांग्रेसी नेता और कार्यकर्ता पार्टी छोड़कर जा रहे है। इनमें पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह और कमलनाथ के समर्थक नेताओं की संख्या ज्यादा है। ऐसे नेताओं का प्रयास है कि जीतू पटवारी कमजोर हो और वे पार्टी द्वारा सौंपी गई जिम्मेदारी का निर्वहन करने में पिछड़ जाए। ताकि हाईकमान को संदेश जाए कि जिस व्यक्ति को अपना जिम्मेदारी देकर सौंपा था। वह प्रदेश संगठन को चलाने और नेताओं को संभालने में नाकाम रहा। प्रदेश के राजनीतिक जानकारों का कहना है कि,विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद पार्टी के कई नेताओं ने हार ठीकरा कमलनाथ पर फोड़ा था। इसके बाद कांग्रेस हाईकमान ने कमलनाथ को हटाकर जीतू पटवारी को पार्टी की जिम्मेदारी सौंप दी थी। प्रदेश अध्यक्ष बदलते समय पार्टी ने मध्यप्रदेश के वरिष्ठ नेताओं से भी सलाह-मशविरा नहीं किया था। इससे प्रदेश के सभी दिग्गज नेता नाराज हो गए थे। इसी के बाद से ही नेताओं का पार्टी छोड़ने का सिलसिला शुरु हो गया है। 

तीन माह से बिना टीम के काम रहे पटवारी

विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद पूर्व सीएम कमलनाथ को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के पद से हटाकर पिछले साल 16 दिसंबर को जीतू पटवारी एमपी के नए पीसीसी चीफ बने थे। पटवारी को प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर तीन माह पूरे कर चुके है। लेकिन अभी तक पटवारी अपनी टीम नहीं तैयार पाए है। सूत्रों की मानें तो वरिष्ठ नेताओं में आम सहमति बनाने के चक्कर में टीम नहीं बन पा रही है। कांग्रेस की प्रदेश कांग्रेस कमेटी की कार्यकारिणी बनाने के लिए कांग्रेस के नेता एकजुट नहीं हो पा रहे हैं।

पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने अपने कार्यकाल में जब प्रदेश कांग्रेस की टीम बनाई थी। तब उन्होंने 50 उपाध्यक्ष, 105 महामंत्री, और करीब 60 सचिव नियुक्त किए थे। चंद्रप्रभाष शेखर को प्रदेश उपाध्यक्ष के साथ संगठन प्रभारी और राजीव सिंह को प्रशासन का प्रभारी बनाया था। हालांकि विधानसभा चुनाव के पहले संगठन का प्रभार राजीव सिंह को दिया गया था। विगत दिनों प्रदेश प्रभारी जितेंद्र सिंह ने पीसीसी कमेटी भंग की थी।