नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) ने रविवार को कहा कि बंगाल (Bengal violence) में हाल ही में हुई हिंसा देश में बढ़ते हिंदू-मुस्लिम विभाजन का सीधा नतीजा है। उन्होंने कहा कि सांप्रदायिक नफरत के कारण देश कमजोर हो रहा है। उन्होंने लोगों से एकजुट होने और एकता का प्रदर्शन करने का अनुरोध किया।

 

धर्म के नाम पर नफरत फैलाने वालों से खतरा: फारूक अब्दुल्ला
फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) ने कहा कि खतरा पाकिस्तान या चीन से नहीं बल्कि देश के भीतर उन लोगों से है, जो धर्म के नाम पर नफरत फैला रहे हैं।  जम्मू के सीमावर्ती क्षेत्र मढ़ में सेवानिवृत्त वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मोहन लाल कैथ का पार्टी में स्वागत करने के लिए अपनी पार्टी द्वारा आयोजित एक जनसभा को संबोधित करने के बाद वह पत्रकारों से बात कर रहे थे।स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के बाद पिछले साल विधानसभा चुनाव में असफल रहे कैथ ने कहा कि उन्होंने अपने समर्थकों से सलाह-मशविरा करने के बाद सत्तारूढ़ पार्टी में शामिल होने का फैसला किया और जमीनी स्तर पर पार्टी को मजबूत करने का संकल्प लिया।

 

'बंगाल में हुई हिंसा सांप्रदायिक विभाजन का नतीजा'
भाजपा पर परोक्ष हमला करते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि हाल ही में बंगाल में हुई हिंसा देश भर में फैले सांप्रदायिक विभाजन का नतीजा है।  फारूक ने कहा कि मुस्लिम विरोधी बयानबाजी और समुदाय के घरों, मस्जिदों और स्कूलों पर बुलडोजर चलाने से वे चरम पर पहुंच गए हैं।सरकार उनकी कार्रवाई की वैधता साबित नहीं कर सकती, जिस पर आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। उन्होंने कहा कि देश में हिंदुओं और मुसलमानों के लिए अलग-अलग कानून नहीं हैं।

 

वक्फ बिल पर क्या बोले फारूक अब्दुल्ला?
वक्फ संशोधन अधिनियम पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद कुछ भाजपा नेताओं द्वारा सुप्रीम कोर्ट पर सवाल उठाए जाने के बारे में पूछे जाने पर डॉ. फारूक ने कहा कि लोकतंत्र के चार स्तंभ विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका और मीडिया देश में लोकतंत्र को जीवित रखते हैं।उन्होंने कहा अगर कोई गलत कानून पेश किया जाता है, तो उसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है और उसके अनुसार वह अपना फैसला सुनाता है। उन्होंने ऐसे नेताओं को सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ बोलने से बचने की सलाह दी।उन्होंने कहा कि वक्फ मुद्दा विचाराधीन है और सभी को अदालत के अंतिम फैसले तक इंतजार करना चाहिए, जिसने कुछ महत्वपूर्ण सवाल उठाए हैं। 

 

धर्म के नाम पर फैलाई गई नफरत देश को कर रही कमजोर
फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि विविधता में एकता देश की ताकत है और उन्होंने लोगों से हाथ मिलाने और एकता का प्रदर्शन करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि धर्म के नाम पर जो नफरत फैलाई गई है, वह देश को कमजोर कर रही है। हमें पाकिस्तान या चीन का डर नहीं है बल्कि हमें इस नफरत का डर है।हमें इससे उबरना होगा और तभी सब ठीक होगा। उन्होंने कहा कि जम्मू के लोग पानी की कमी और बिजली के संकट से जूझ रहे हैं जबकि पानी की कमी नहीं है और इससे पैदा होने वाली बिजली उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के समझौते के अनुसार राजस्थान और उत्तर प्रदेश को बेची जा रही है।उन्होंने कहा कि यह हमारा पानी है और इस पर पहला अधिकार हमारा है। उन्होंने सिन्हा की दरबार मूव की सदियों पुरानी परंपरा को रोकने के लिए आलोचना की जिसके तहत सरकार छह-छह महीने श्रीनगर और जम्मू से काम करती थी।