(बैतूल) वार्ड पार्षद उपचुनाव सारनी चिचोली में हुआ भाजपा का सूपडा़ साफ
- सारनी में लीला भुमरकर, चिचोली में मन्जू आर्य ने जीता उपचुनाव ,
- भाजपा के दिग्गज नेताओं की कार्यप्रणाली पर उठ रहे सवाल,
- भाजपा में इस हार को लेकर मन्थन की आवश्यकता
बैतूल (हेडलाईन)/नवल-वर्मा । बैतूल जिले के सारणी, चिचोली के वार्ड पार्षद के उपचुनाव के परिणाम
आ गए । दोनों जगह भाजपा की बुरी तरह हार हुई, जबकि भाजपा ने वार्ड के उपचुनाव को जीतने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी । इस चुनाव को जीतने के लिए सांसद , विधायक , जिला अध्यक्ष ने एक एक घर जनसपंर्क भी किया था साथ ही वार्डो में निवासरत वोटरों को चिन्हित कर उनके रिश्तेदारों और परिचितों के माध्यम से सम्पर्क कर भाजपा के पक्ष में वोट डालने की अपील की गई थी। इस उप चुनाव की गम्भीरता इसी बात से लगाई जा सकती है कि सारणी में जिस वार्ड में चुनाव थे वहां के वोटरों को साधने के लिए भाजपा ने एक एक वोटरों की जिम्मेदारी भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को दी थी जो लगातार संपर्क में थे लेकिन ऐसा क्या कारण रहा कि भाजपा नेता उस सम्पर्क का फायदा नहीं उठा पाए और उसे वोट में तब्दील नहीं करा पाए।
- सांसद और विधायक का जनसंपर्क हुआ विफल मतदाताओं ने नहीं दिखाया भाजपा के प्रति अपना रुझान...
नगर पालिका परिषद सारनी के वार्ड क्रमांक 21 में उपचुनाव के परिणाम बुधवार सुबह 9 बजे के लगभग आ जाने के बाद भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं में मायूसी का माहौल बना हुआ है। मतदान 6 मार्च को संपन्न हुआ था और मतदान के बाद भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के पदाधिकारी अपने अपने प्रत्याशी को विजय दिलवाने के लिए दम भर रहे थे, लेकिन जैसे ही बुधवार को चुनाव के परिणाम आए वैसे ही भारतीय जनता पार्टी के पदाधिकारी नया समाज कल्याण केंद्र से हटकर भाजपा के कार्यालय में पहुंच गए 6 मार्च को जो मतदान हुआ था । उस मतदान के अनुरूप 54.4 प्रतिशत मतदान हुआ था जिसमें 541 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया था। परिणाम जैसे आए उसमें कांग्रेस के पक्ष में 286 मतदाताओं ने अपने मत का उपयोग किया जबकि भारतीय जनता पार्टी को 250 मतदाताओं ने अपनी पसंद मानी जबकि वार्ड के 5 ऐसे लोग थे जिन्होंने कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी को नापसंद किया है। इस तरह 541 पूरे होने के बाद कांग्रेस की प्रत्याशी को निर्वाचन अधिकारी ने विजय घोषित किया विजय होने के बाद अति उत्साह में कांग्रेस के पदाधिकारियों के माध्यम से ढोल नगाड़े के साथ सारनी के विभिन्न वार्डों में भ्रमण करके अपनी खुशी का इजहार किया गया ।
- भाजपा की हार से खड़े हुए गम्भीर सवाल...
(1) क्या बैतूल भाजपा
हार से सबक लेकर करेगी गहन चिन्तन ?
(2) संगठन की पूरी ताकत झोंकने के बाद भी क्यों हारी भाजपा?
(3) पार्षदों के उपचुनाव में भाजपा की क्यों हुई हार ?
(4) क्या हार से सबक लेकर फिर जमीनी नेताओ की होगी पूछपरख?
(5) क्या अब चमचागिरी कर रहे नेताओं को आगे बढ़ाने की परम्परा पर लगेगी रोक?
(6) क्या पूर्व सांसद विजय कुमार खण्डेलवाल मुन्नी भैया की कार्यशैली को फिर से अपनायेगी भाजपा?
- अब क्या इस हार से सबक लेगी भाजपा ...
भाजपा के सामने अब इस हार से सबक लेने की आवश्यकता है ?
क्योंकि ऐसा क्या कारण है कि भाजपा का की वोटर भी आज की स्तिथि देखकर हताश होकर भाजपा से दूर जा रहा है?
भाजपा को क्या इस हार से सबक लेकर अब फ़ोटोग्राफी छोड़कर फिर भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के पास जाने की आवश्यकता है जो आज उपेक्षित होकर घर बैठे है और जमीनी स्तर पर जिनकी पकड़ है। क्योंकि आज कल ज्यादातर देखने मे आ रहा है कि भीड़ इक्कठा कर फ़ोटो कराकर खुद की राजनीति चमकाने की होड़ सी लगी है ? भाजपा को ये सोचने की जरूरत है कि आज के नए नेताओं का जुड़ाव लोगो के दिल से नहीं है ।
जबकि वरिष्ठ नेताओं का सम्पर्क और जुड़ाव पहले लोगों के दिलो से सीधा था और यही कारण था कि उंनके कहने पर जनता भी भाजपा के पक्ष में वोट डालती थी लेकिन आज कल सिर्फ हवा बाजी करने और चमचागिरी करने वालों की होड़ सी लगी है जो जितनी ज्यादा चमचागिरी करेगा उसको उतनी जिम्मेदारी और वाहवाही मिलेगी । वहीं पिछले दिनों भीमपुर की घण्टना हुई उस घटना से भी सबक लेने की आवश्यकता है कि ऐसा क्या कारण है कि आदिवासी इतना आक्रोशित हो रहा है और हम उनसे बात तक नहीं कर रहे? आज एक तरह से उपचुनाव के रिजल्ट को छोड़ भी दिया जाए तो भी पूरे जिले में माहौल भाजपा के पक्ष में नजर नहीं आता ?
एक तरफ देखा जाए तो अभी पिछले दिनों जिले के प्रभारी मंत्री 3 दिन बैतूल में रहे लेकिन वहाँ भी भाजपा के नेता भी सीमित संख्या में पहुँचे क्योंकि कार्यककर्ताओं के मन मे भाजपा सरकार होने का कोई उत्साह ही नहीं है जबकि काग्रेसी मंत्री यदि जिले में आते थे तो पूरे जिले में उनके कार्यककर्ताओ में अलग माहौल रहता था और प्रशासन भी अलर्ट रहता था लेकिन यहां पूरा उल्टा है ।
आज देखा जा रहा है कि मंत्री आ रहे है तो सिर्फ बेतूल आकर वही से वापस चले जा रहे ऐसा क्या कारण है कि मंत्रियो को पूरे जिले में अलग अलग स्थानों में क्यों नही ले जा रहा और लोगों से सीधा संवाद नही करने दिया जा रहा।
खैर अब उपचुनाव के नतीजे आ गए वो तो निराशाजनक है अब कल भाजपा नेताओं के पास खुशियां मनाने के लिए यूपी चुनाव के नतीजे का इंतजार करना पड़ेगा और यूपी चुनाव की जीत से सबक लेकर यहां भी स्थानीय जमीनी नेताओं को तवज्जो देकर फिर भाजपा को मजबूत स्तिथि में खड़ा करने की कोशिश करना पड़ेगा।
नवल-वर्मा-हेडलाईन-बैतूल 09 मार्च 2022