छत्तीसगढ़ में आरक्षण संशोधन विधेयक पर मामला शांत होते नहीं दिखाई दे रहा है।अब पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह के बयान ने सियासी पारा फिर चढ़ा दिया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि, राज्यपाल भाजपा नेताओं के दबाव में हैं। राजभवन का विधिक सलाहकार एकात्म परिसर में बैठता है। उन्होंने रमन सिंह पर भी निशाना साधा। 

दरअसल, मुख्यमंत्री मंगलवार को बेमेतरा के साजा विधानसभा में भेंट-मुलाकात कार्यक्रम के लिए रवाना हो रहे थे। इससे पहले उन्होंने पूर्व सीएम रमन सिंह के दिए बयान का जिक्र किया कि 'मुख्यमंत्री की इच्छा से तैयार किए गए बिल पर राज्यपाल हस्ताक्षर नहीं कर सकती'। इसे लेकर सीएम बघेल ने कहा कि, बिल विभाग तैयार करता है, कैबिनेट में प्रस्तुत होता है। फिर एडवाइजरी कमेटी के सामने जाता है, विधानसभा में चर्चा होती है। 

उन्होंने कहा कि, आरक्षण बिल के लिए सारी प्रक्रिया पूरी की गई। विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित किया गया। इसमें सभी लोगों ने भाग लिया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि, विपक्ष ने भी इसमें भाग लिया, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि रमन सिंह जैसे व्यक्ति जो 15 साल छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रहे, वह ऐसी बात कह रहे हैं। उन्होंने कहा कि, भाजपा के एक भी नेता ने राज्यपाल से नहीं कहा कि बिल पर हस्ताक्षर करें। 

मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि, ये जो विधिक सलाहकार है, कौन है। यह एकात्म परिसर में बैठते हैं। उन्होंने कहा कि, अफसरों के मना करने पर भी राज्यपाल के सवालों का जवाब दिया, लेकिन गड़बड़ी निकालेंगे। हम फिर भेजेंगे, फिर ऐसा करेंगे। कुल मिलाकर राज्यपाल को हस्ताक्षर नहीं करना है। उन्होंने कहा कि, नहीं करना है तो बिल वापस करें। उनके अधिकार क्षेत्र में है कि बिल उचित नहीं लगता है तो सरकार को वापस करें। 

सीएम ने कहा कि, राज्यपाल बिल को राष्ट्रपति को भेजें या फिर अनिश्चितकाल के लिए अपने पास रखें। वह अपने पास अनिश्चितकाल तक के लिए रखना चाहती हैं, लेकिन बहाना ढूंढ रही हैं। यह उचित नहीं है। बघेल ने कहा कि, जो विधानसभा छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी पंचायत है, जहां सर्वसम्मति से विधेयक पारित किया गया है। ये विधिक सलाहकार जो एकात्म परिसर में बैठता है, वह विधानसभा से क्या बड़ा हो गया है।