छत्तीसगढ़ में अब सभी सरकारी इमारतों में गोबर पेंट अनिवार्य कर दिया गया है। इसको लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने निर्देश जारी कर दिए हैं। साथ ही कहा है कि इसका उल्लंघन करने वाले अफसर पर सख्‍त कार्रवाई की जाएगी। मुख्यमंत्री ने निर्माण विभागों के केमिकल पेंट का उपयोग करने पर नाराजगी जताई है। कहा कि पहले भी इसे लेकर निर्देश दिए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि, गोबर पेंट का उपयोग ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सुदृढ़ीकरण और पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण होगा।

रायपुर के नजदीक हीरापुर जरवाय के गौठान में महिला स्व-सहायता समूह की ओर से गोबर से पेंट तैयार किया जा रहा है। फिलहाल समूह में 22 महिलाएं काम करती हैं। नया करने के लिए उन्होंने गोबर से पेंट बनाने का काम शुरू किया था। इसके लिए उन्होंने प्रशिक्षण भी लिया। पेंट बनाने की शुरुआत अप्रैल 2022 से हुई और अब तक तीन हजार लीटर पेंट बनाकर समूह की महिलाएं बेच चुकी हैं। गोबर से निर्मित पेंट आधा लीटर, एक, चार, और 10 लीटर के डिब्बों में उपलब्ध है।

सरकार कर रही गोबर-गौमूत्र की खरीदी
गोधन न्याय योजना के तहत सरकार गौठानों में दो रुपये किलो में गोबर की खरीदी कर रही है। इससे वर्मी कंपोस्ट, सुपर कंपोस्ट और अन्य उत्पाद बनाए जा रहे हैं। गोबर से विद्युत उत्पादन और प्राकृतिक पेंट निर्माण की शुरुआत भी की गई है। योजना के तहत पिछले दो सालों में 380 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान गोबर विक्रेताओं को किया गया है। गोबर खरीदी और उससे तैयार किए जा रहे उत्पादों की बिक्री से ग्रामीणों की आय बढ़ी है। गोबर पेंट का उपयोग से ग्रामीणों को और फायदा मिलेगा। 

गौमूत्र से बना रहे ब्रह्मास्त्र और जीवामृत
राज्य सरकार ने गोधन न्याय योजना के तहत इस साल से गौ मूत्र की भी खरीदी शुरू की है। अब तक प्रदेश के 96 गौठानों से 1 लाख 5000 लीटर गौ मूत्र 4 लाख 20 हजार रुपये में खरीदा जा चुका है। खरीदे गए गौ मूत्र से महिला स्व-सहायता समूहों ने 36 हजार 913 लीटर कीट नियंत्रक ‘ब्रम्हास्त्र’ और 19 हजार 765 लीटर वृद्धि वर्धक ’जीवामृत’ जैसे जैविक उत्पाद तैयार किए हैं। 13 लाख 64 हजार 771 रुपये का ‘ब्रम्हास्त्र’ और 5 लाख 98 हजार 464 रुपये का ’जीवामृत’ अब तक बेचा जा चुका है। 
 
ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सुदृढ़ीकरण और पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से सरकार द्वारा सभी शासकीय विभागों, निगम-मंडलों, स्थानीय निकायों में रंग-रोगन कार्य के लिए गोबर पेंट का उपयोग पहले ही अनिवार्य किया जा चुका है।