भोपाल । कांग्रेस मप्र में 2023 के लिए सियासी जमीन मजबूत करने में जुट गई है। पार्टी 2018 की तरह भाजपा को मात देने की रणनीकम पर काम कर रही है। इसके लिए 12 और 13 अप्रैल को भोपाल में बड़ी बैठक आयोजित की गई है। इस बैठक में भाजपा को पटखनी देने के प्लान पर मंथन किया जाएगा। साथ ही राज्यसभा की खाली होने वाली सीट को लेकर रणनीति बनाई जाएगी। मप्र कांग्रेस के प्रवक्ता पियूष बबेले का कहना है कि प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ 12 और 13 अप्रैल को भोपाल में ही रहेंगे। सामान्यत: कोर कमेटी की बैठक होती हैं, लेकिन संभावना है कि इस बार राजनीतिक मामलों की नवगठित कमेटी की बैठक हो। प्रदेश की सत्ता में वापसी के लिए कांग्रेस ने भी कमर कस ली है, इसकी तैयारियों के लिए पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ लगातार सक्रिय हैं। लेकिन पार्टी के पदाधिकारी अभी पूरी तरह सक्रिय नहीं हैं। इसलिए दो दिनी बैठक 12 और 13 अप्रैल को भोपाल में बुलाई गई है। इसमें डेढ़ साल बाद होने वाले विधानसभा चुनावों की क्षेत्रवार तैयारी के साथ ही राज्यसभा की खाली होने वाली सीट को लेकर रणनीति बनाई जाएगी। एक ओर कांग्रेस एकजुटता का संदेश देने की कोशिश कर रही है। वहीं दूसरी तरफ नेताओं का पार्टी फैसलों का विरोध करना कांग्रेस को भारी पड़ता दिखाई दे रहा है। अब ऐसे में कांग्रेस संगठन के तौर पर बेहद मजबूत भाजपा के सामने साल 2023 के चुनाव में अपना किला कैसे मजबूत बना पाएगी। ये तो साल 2023 के चुनाव परिणामों के बाद जानने को मिलेगा।

चुनावी रणनीति से लेकर टिकटों के लिए क्राइटेरिया तय होगा
सूत्रों की माने तो प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ के नेतृत्व में सर्वसम्मति से 2023 के विधानसभा चुनाव लडऩेे का फैसला होते ही पार्टी को  इलेक्शन मोड पर लाने की शुरूआत हो चुकी है। नाथ ने इसके बाद ही पार्टी के दिग्गज नेताओं को शामिल करते हुए राजनीतिक मामलों की कमेटी गठित कर दी। इस 22 सदस्यीय कमेटी में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, कांतिलाल भूरिया, डॉ. गोविंद सिंह, जीतू पटवारी सहित सांसद विवेक कृष्ण तन्खा आदि को रखा गया है। यही कमेटी अब प्रदेश में चुनावी रणनीति से लेकर टिकटों के लिए क्राइटेरिया तय करने का काम करेगी।

नेता करेंगे जमनी दौरा
पार्टी की संभावित रणनीति के अनुसार अब दिग्गज नेता पूरे प्रदेश का दौरा सड़क मार्ग से करेंगे और पार्टी के लिए महौल बनाएंगे। इस संबंध में पिछले दिनों हुई पार्टी की बैठक में फैसला लिया गया है। कांग्रेस का पूरा प्रयास होगा कि वो अपने खोए जनाधार को इस प्रयास से दोबारा हासिल करे और साल 2023 में सत्ता में वापसी करे। कांग्रेस का दावा है कि दिग्गजों के जमीन पर उतरने से पार्टी को 2023 में लाभ मिलेगा और एक बार फिर सत्ता में वापसी होगी। बीते दिनों हुई बैठक में कांग्रेस सर्व सम्मति से यह तय कर चुकी है कि अगला चुनाव कमलनाथ के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। साथ ही कमलनाथ कैबिनेट में मंत्री रहे नेताओं को भी अपने अपने क्षेत्र में सक्रिय होने की हिदायत दे दी गई है। पीसीसी चीफ कमलनाथ समेत पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुरेश पचौरी, अरुण यादव, कांतिलाल भूरिया, दिग्विजय सिंह, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल प्रदेश के अलग-अलग इलाकों में सड़क मार्ग के जरिए पहुंचेंगे और इस बीच लगातार जनसंपर्क करेंगे। पूर्व मंत्री और जिला प्रभारियों को भी जमीनी दौरा करने के लिए कहा गया है।