भोपाल ।लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस पूरी तरह तैयार है। पार्टी ने प्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीटों के दावेदारों का पैनल तैयार कर लिया है। सूत्रों का कहना है की इस माह के आखिरी में पार्टी अपने उम्मदवारों के नाम की घोषणा कर देगी। इस बार पार्टी ने विधानसभा चुनावों के परिणामों के मद्देनजर लोकसभा चुनाव की रणनीति बनाई है। पार्टी को उम्मीद है कि पिछले चुनावों की अपेक्षा इस बार लोकसभा में अच्छा प्रदर्शन होगा।
विधानसभा चुनाव खत्म होने के साथ कांग्रेस लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गई। पार्टी के नेताओं ने जहां सभी लोकसभा क्षेत्रों में सक्रियता बढ़ा दी वहीं अब टिकट के दावेदारों का हर लोकसभा से दो से तीन नामों का पैनल बनाया है। पैनल में शामिल नामों में से ही किसी एक पर पार्टी दांव लगा सकती है। पार्टी ने दावेदारों का जो पैनल बनाया है उसमें पार्टी के वरिष्ठ नेता, विधायक, पूर्व विधायक, विधानसभा चुनाव 2023 के प्रत्याशी, कोई नया चेहरा जो लगातार सक्रिय हो, ऐसा कार्यकर्ता जो सक्रिय होने के साथ ही सभी को स्वीकार्य हो आदि पर फोकस किया है।
विंध्य की चार सीटों के पैनल बने
सूत्रों के मुताबिक पैनल में शामिल लोगों के नामों का फीडबैक लेकर अंतिम रूप देने की तैयारी में जुटी कांग्रेस ने विंध्य की चार लोकसभा सीटों के लिए भी पैनल बनाया है। इस पैनल में पार्टी ने अपने मौजूदा विधायकों, महापौर, पूर्व विधायक और विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी रहे नेताओं के नाम शामिल किए हैं। माना जा रहा है कि कांग्रेस फरवरी के अंत व मार्च के पहले सप्ताह तक अपने कुछ लोकसभा उम्मीदवारों के नाम घोषित कर सकती है। सतना लोकसभा सीट से अजय सिंह राहुल पूर्व नेता प्रतिपक्ष, सिद्धार्थ कुशवाहा विद्यायक सतना, नीलांशु चतुर्वेदी पूर्व विधायक चित्रकूट का नाम है। वहीं रीवा लोकसभा सीट से अजय मिश्रा बाबा महापौर, अभय मिश्रा विधायक सेमरिया एवं राजेन्द्र शर्मा, सीधी लोकसभा सीट से अजय सिंह राहूल पूर्व नेता प्रतिपक्ष, कमलेश्वर पटेल पूर्व मंत्री, शहडोल लोकसभा सीट से फुंदेलाल मार्को विधायक पुष्पराजगढ़, रमेश सिंह पूर्व प्रत्याशी अनूपपुर एवं नरेन्द्र सिंह मरावी पूर्व प्रत्याशी जयसिंहनगर का नाम शामिल है।
जीतने वाले चेहरों की तलाश
पिछले दो विधानसभा चुनाव में विध्य से लगभग पूरी तरह से साफ हो रही कांग्रेस के पास लोकसभा चुनाव के लिए विध्य की चारों सीटों में ऐसे प्रत्याशी की कमी है जिस पर पार्टी दांव लगा सके। घूम फिरकर कुछ चुनिंदा चेहरे ही हैं जिनमें से ही किसी को लोकसभा चुनाव कांग्रेस लड़ा सकती है। यह अलग बात है कि कोई अभी विधायक है तो किसी को पार्टी ने 2023 के विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया था लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली और अब लोकसभा के लिए भी इन्हीं लोगों की टिकट की दावेदारी है। अमूमन विच्य की चारों सीटों में कांग्रेस की यही स्थित है। यदि बारों लोकसभा सीटों की बात करें तो सतना में टिकट के दावेदार मौजूदा और पूर्व विधायक है तो रीवा में वर्तमान महापौर और विधायक के नाम की चर्चा। सीधी में कांग्रेस अपने दोनों बड़े चेहरों विधायक अजय सिंह राहुल और पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल को लोकसभा चुनाव लड़ाना चाह रही है पर दोनों चुनाव लडऩे के इच्छुक नहीं हैं। माना जा रहा है कि यदि इन दोनों में से कोई भी लोकसभा चुनाव लडऩे के लिए तैयार नहीं हुआ तो फिर पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजेन्द्र सिंह भदौरिया और सिंगरौली के अमित द्विवेदी में से किसी एक के नाम पर भी विचार हो सकता है। श्री भदौरिया पार्टी के वरिष्ठ और समर्पित नेताओं में से एक हैं। कभी कुंवर अर्जुन सिंह के करीबी रहे श्री भदौरिया को पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल का भी करीबी माना जाता है।
विधायकों पर भी फोकस
प्रदेश की 29 में से मात्र एक लोकसभा सीट वाली कांग्रेस के पास लोकसभा में खोने के लिए कुछ नहीं है। पार्टी सिर्फ पाने की चाहत रख रही है। यही वजह है कि कांग्रेस इस चुनाव में तीन तरह की रणनीति पर काम कर रही है। पार्टी के दिग्गज नेताओं को लोकसभा के समर में उतारना, विधायकों को लोकसभा चुनाव लड़ाना अथवा किसी नए और सक्रिय चेहरे पर दांव लगाना। हालांकि पार्टी अपनी रणनीति के साथ मिशन- 2024 के समर में जाती है। वह तो तब पता चलेगा जब कांग्रेस लोकसभा के अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा करेगी। फिलहाल जो दावेदारों के पैनल बनाए गए हैं उनमे दिग्गज और विधायकों के नाम टिकट के दावेदारों में शामिल है। पार्टी सूत्रों की माने तो कांग्रेस को जहां लगातार पराजय मिल रही है उन लोकसभा सीटों में पार्टी सबसे पहले अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर सकती है। माना जा रहा है कि चालू माह के अंतिम तो मार्च के पहले सप्ताह में पार्टी उन लोकसभा सीटो में अपने उम्मीदवार घोषित कर सकती है। जहां उसे पिछले पांच-सात चुनावों से पराजय का सामना करना पड़ रहा है। ऐसी लोकसभा सीटों में विंध्य की सतना और सीधी लोकसभा सीट भी शामिल है। यहां पार्टी पिछले सात चुनावों से पराजित हो रही है।