जबलपुर। कोई भी जीते कोई भी हारे यहां राम लखन फिल्म के गीत बजते हैं। जिले में सबसे अधिक संवेदनशील बूथ यहां बसते हैं। यहां चुनाव यूपी बिहार पैटर्न पर होता दिखाई देता है। यहां दोनों प्रत्याशियों की अपनी फौज है। हम बात कर रहे हैं, पूर्व विधानसभा जहां लखन वर्सेज अंचल का धमाकेदार मुकाबला होने जा रहा है। यहां भाजपा के कद्दावर नेता अंचल सोनकर अपनी राजनीतिक जमीन वापस पाने और कांग्रेस धाकड़ नेता लखन घनघोरिया अपनी जमीन बचाए रखने के लिये अपनी पूरी ताकत झोंकने की तैयारी में है। बीजेपी ने पूर्व मंत्री अंचल सोनकर का नाम पहली ही लिस्ट में फायनल कर चुकी है। वहीं कांग्रेस के वर्तमान विधायक लखन घनघोरिया के नाम की आधिकारिक घोषणा कांग्रेस की पहली सूची में हो गई। अंचल सोनकर का चुनाव प्रचार जोर शोर से जारी है। इस सीट की सबसे अच्छी और बुरी चीज यही है कि यहां जो होता है खुलकर होता है। जानकार कहते हैं यहां के नतीजे धु्रवीकरण के आधार पर तय होंगे। जो जितना धु्रवीकरण कर पाएगा, वो उतना आगे जाएगा। ध्रुवीकरण के इस खेल में ओवेसी की पार्टी एमआईएम (मजलिस) के पत्ते खुलने का भी इंतजार है। अब तक स्पष्ट नहीं है एमआईएम के चुनाव लड़ने का फायदा किये होगा। लेकिन यह स्पष्ट है कि यदि मजलिस ने यहां मजबूत प्रत्याशी उतारा, तो कांग्रेस भाजपा दोनों को अपनी जमीनी रणनीति बदलना पड़ेगी। 
पूर्व विधानसभा का सियासी इतिहास भी बड़ा रोचक है. १९७२ में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के लिए ये सीट पश्चिम विधानसभा के मौजूदा विधायक तरुण भनोत के पिता कृष्ण अवतार भनोत ने जीती थी. इसके बाद १९७७ में ये सीट जनता पार्टी के खाते में चली गई और कैलाश सोनकर ने जीत हासिल की. १९८० में माया देवी सालवार और १९८५ में अच्छेलाल सोनकर की जीत के साथ कांग्रेस ने फिर इस सीट पर कब्जा कर लिया. साल १९९० के चुनावों में जनता दल के मंगल पराग ने जीत दर्ज कर सबको चौंका दिया था. उसके बाद १९९३, १९९८, २००३ में अंचल सोनकर ने जीत की हैट्रिक लगाकर इसको बीजेपी का गढ़ बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। परीसीमन के बाद २००८ में मौजूदा विधायक लखन घनघोरिया ने अंचल के विजयरथ पर ब्रेक लगा दिया, २०१३ में अंचल सोनकर जीत के साथ वापसी की। लेकिन २०१८ के चुनाव में लखन घनघोरिया ने ३५ हजार से अधिक मतों से अंचल को हराकर सबको चौका दिया। 
साल २०१३ में एक बार फिर बीजेपी के अंचल सोनकर ने जीत हासिल कर यहां से चौथी बार विधायक बनने का कीर्तिमान बनाया. इस चुनाव में अंचल सोनकर को ६७ हजार १६७ वोट मिले, जबकि लखन घनघोरिया के पास ६६ हजार १२ वोट आए. इस दौरान जीत के मार्जिन का आंकड़ा बहुत कम रहा.  महज १,१५५ वोटों के अंतर से बीजेपी के अंचल ने जीत हासिल की थी. इसके बाद २०१८ में कांग्रेस के लखन ने बड़ी जीत हासिल की. साल २०१८ के विधानसभा चुनाव में पूर्व क्षेत्र से ११ उम्मीदवार मैदान में थे, लेकिन मुख्य मुकाबला कांग्रेस के लखन घनघोरिया और बीजेपी के अंचल सोनकर के बीच था. कांग्रेस के लखन को ९० हजार २०६ वोट मिले तो, वहीं बीजेपी के अंचल के खाते में ५५ हजार ७० वोट पड़े. लखन ने ३५ हजार १३६ मतों के अंतर से जीत दर्ज की. इस चुनाव में भी मुस्लिम मतदाताओं ने बड़ी भूमिका निभाई थी.
पूर्व विधानसभा क्षेत्र में चितरंजन, सुभाषचन्द्र बोस, लालबहादुर शास्त्री, डॉ. जाकिर हुसैन, ठक्करग्राम, राधाकृष्ण, गोविंददास, द्वारकाप्रसाद मिश्रा, आचार्य विनोबा भावे, खेरमाई, रविन्द्रनाथ टैगोर, महर्षि अरविंद, शीतलामाई, संजय गांधी, मदनमोहन मालवीय, जवाहरलाल नेहरू, श्यामाप्रसाद मुखर्जी, शहीद अब्दुल हमीद और महेश योगी वार्ड आते हैं. पूर्व विधानसभा के इन २० वार्डों के पार्षदों की बात करें तो १० वार्डों में बीजेपी के पार्षद हैं, वहीं ७ वार्डों में कांग्रेस के पार्षद काबिज हैं. इसके अलावा २ पार्षद एआईएमआईएम पार्टी से हैं. एक वार्ड में निर्दलीय पार्षद है, जो कांग्रेस में शामिल हो चुका है.