छत्तीसगढ़ में संशोधित आरक्षण विधेयक को लेकर विवाद गरमाता जा रहा है। इसे लेकर अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 30 दिसंबर को कैबिनेट की बैठक बुलाई है। इसमें राजभवन के रुख को लेकर चर्चा होगी। इसके अलावा विधानसभा के शीतकालीन सत्र को लेकर भी बात होगी। सत्र 2 जनवरी से शुरू होगा। सत्र के दौरान उपाध्यक्ष चयन को लेकर कैबिनेट में चर्चा की जाएगी। साथ ही सत्र के दौरान किए जाने वाले शासकीय कार्य पर भी चर्चा होगी। सत्र में लाए जाने वाले विधेयकों की सूचना अब तक नहीं आई है। अन्य विभागों के प्रस्तावों पर भी निर्णय लिए जाएंगे। उनसे कैबिनेट के प्रस्ताव 29 दिसंबर तक भेजने कहा गया है। 

दरअसल, आरक्षण संशोधन विधेयक के विधानसभा में पास हो जाने के बाद करीब 22 दिन बीत चुके हैं। तब से विधेयक राजभवन में राज्यपाल के हस्ताक्षर को लेकर अटका हुआ है। विधेयक पर संशय के चलते राजभवन से 10 सवाल भी सरकार से पूछे गए थे, इसके जवाब भी भेजे जा चुके हैं। तमाम जद्दोजहद और समय बीतने के बाद भी राज्यपाल के हस्ताक्षर नहीं होने से अब कांग्रेस सरकार से टकराव बढ़ने लगा है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सोमवार को यहां तक कह दिया था कि, सारे अधिकारी मेरी इस बात के विरोध में थे कि राज्यपाल ने जो 10 सवाल भेजे हैं उनका जवाब देना है। संविधान में ऐसी कोई व्यवस्था है ही नहीं। फिर भी मैंने राज्यपाल की जिद को ध्यान में रखते हुए कि पौने तीन करोड़ जनता के लिए आरक्षण लागू हो जाए। उनको लाभ मिले, ये सोचकर जवाब भेजे। राज्यपाल का जो ईगो है, वह सटिसफाई हो जाए।