भोपाल । पुरानी पेंशन व पदोन्नति नहीं देने और सेवानिवृत्त अधिकारियों व कर्मचारियों को संविदा नियुक्ति देने से मध्य प्रदेश के 50 से अधिक बड़े कर्मचारी संगठन नाराज हैं। वे राज्य सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरने की तैयारी कर रहे हैं। कर्मचारी साफ कर चुके हैं कि विधानसभा चुनाव से पहले सरकार ने इस संबंध में निर्णय नहीं लिया, तो वे माफ नहीं करेंगे। यानी इसका असर विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिल सकता है। बता दें कि प्रदेश में नियमित, संविदा, स्थायीकर्मी, निगम-मंडल मिलाकर 18 लाख से अधिक कर्मचारी हैं।
मध्य प्रदेश में मई 2016 से पदोन्नति पर रोक लगी है। करीब 35 हजार कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति से ठीक पहले पदोन्नति मिलनी थी। वे इसके बिना ही सेवानिवृत्त हो गए। अब आरक्षित और अनारक्षित दोनों वर्ग के कर्मचारी चाहते हैं कि पदोन्नति शुरू हो जाए, भले ही सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अधीन ही हो। वे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस और विभिन्न विभागों के मंत्रियों को ज्ञापन भी सौंप चुके हैं, पर किसी के भी स्तर पर पदोन्नति शुरू करने की पहल नहीं हुई है।
कर्मचारियों की दूसरी बड़ी मांग पुरानी पेंशन बहाली है। इसे लेकर प्रदेश के 22 कर्मचारी संगठन एक साथ खड़े हैं। पांच फरवरी को भोपाल में इसे लेकर महासम्मेलन भी हो चुका है। मई-जून में कर्मचारी एक बार फिर एकत्र होंगे और सरकार को अपनी चेतावनी याद दिलाएंगे। कर्मचारी सभी विभागों में खाली पदों को लेकर भी नाराज हैं, वे सेवानिवृत्त कर्मचारियों को संविदा नियुक्ति देने के खिलाफ हैं और कई बार अपनी बात सरकार के सामने रख चुके हैं। उनकी मांग है कि युवाओं को मौका देंगे, तो कर्मचारियों की आने वाली पीढ़ी तैयार होगी।