प्रतिबन्ध होने के बाद भी कई देशों ने भारत से माँगा गेहू
नई दिल्ली । गेहूं के निर्यात पर पाबंदी के बावजूद सरकार कुछ देशों को गेहूं निर्यात करने की इजाजत दे सकती है। क्योंकि, कई देशों ने सरकार से गेहूं को लेकर विशेष अनुरोध किया है। इनपर विचार करने के लिए सरकार ने खाद्य मंत्रालय की अध्यक्षता में एक समिति गठित की है, जो गेहूं खरीदने के अनुरोधों पर गौर कर जल्द कोई निर्णय लेगी। इस बीच, सरकार ने दावा किया है कि गेहूं निर्यात पर पाबंदी से घरेलू बाजार में गेहूं और आटे की कीमतों में गिरावट आनी शुरू हो गई है। खाद्य मंत्रालय के सचिव सुधांशु पांडेय ने कहा है कि गेहूं के निर्यात पर पाबंदी लगाने के सकारात्मक परिणाम आए हैं। घरेलू बाजार में गेहूं और आटे के दाम कम हुए हैं। पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती का असर दिखने लगा है। आवश्यक जरूरत की चीजों की कीमतों में कमी का रुझान है। उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले दिनों में कीमत और कम होगी। इसका फायदा आम लोगों को मिलेगा। उन्होंने दावा किया कि गेहूं दो और आटा तीन रुपये प्रति किलो तक सस्ता हुआ है। खाद्य मंत्रालय के सचिव सुधांशु पांडेय ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि सरकार के हस्तक्षेप से गेहूं के साथ चीनी, चावल एवं खाद्य तेलों की कीमतों में भी गिरावट आई है। उनके मुताबिक, पिछले एक सप्ताह में आटे की औसत खुदरा कीमत 0.30 प्रतिशत घटकर 33.4 रुपये प्रति किलो हो गई है। वहीं, गेहूं के भाव 1 जून को 29.8 रुपये प्रति किलो है। इसी तरह सरसों तेल के दाम करीब छह से आठ रुपये प्रति किलो तक कम हुए हैं। पाम ऑयल और सूरजमुखी के तेल के दाम भी घटे हैं। सरकार ने बढ़ती मुद्रास्फीति के बीच 13 मई को गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी थी। इसके बाद चीनी के निर्यात की सीमा को घटाकर प्रति वर्ष एक करोड़ टन कर दिया था। इसके अलावा प्रमुख खाद्य तेलों पर आयात शुल्क को भी घटा दिया था। उन्होंने कहा कि चीनी का औसत खुदरा दाम 41.50 रुपये प्रति किलो है। पिछले एक माह में चीनी की कीमतों में 50 पैसे प्रति किलोग्राम की कमी आई है। सरकार ने गुणवत्ता की वजह से तुर्की द्वारा भारतीय गेहूं की खेप को खारिज किए जाने को लेकर तुर्की के अधिकारियों से विवरण मांगा है। खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने कहा है कि इस मामले में तुर्की से विवरण मांगा गया है। क्योंकि, निर्यातक आईटीसी लिमिटेड ने दावा किया है कि 60 हजार टन की खेप के लिए सभी आवश्यक मंजूरी थी। उन्होंने कहा कि प्रमुख गेहूं निर्यातक आईटीसी ने सरकार को इस बारे में सूचित किया है। आईटीसी का कहना है कि उसने जिनेवा स्थित एक कंपनी को गेहूं बेचा था। इस कंपनी ने उसे तुर्की की एक फर्म को बेच दिया। इसके लिए सभी वित्तीय लेनदेन भी पूरे हो चुके हैं। सुधांशु पांडेय ने कहा कि आईटीसी ने बताया है कि उसके पास तमाम आवश्यक मंजूरी थी। इस मामले में कृषि विभाग और कृषि-निर्यात संवर्धन निकाय (एपीडा) तुर्की के अधिकारियों के साथ बात कर रहा है।